पटवारी लेखपाल भर्ती लीक मामले की जांच एसटीएफ कर रही थी ऐसे में अचानक यह खबर आई कि जांच एसटीएफ से लेकर एसआईटी को सौंप दी गई है, इस नाटकीय घटनाक्रम पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखा प्रहार किया है। दसोनी ने हैरत जताते हुए कहा कि यूके ट्रिपल एससी भर्ती लीक मामले में एसटीएफ की मुस्तैदी और उसकी कार्यशैली की तारीफ करते जो सरकार नहीं थक रही थी अचानक ऐसा क्या हुआ की पटवारी लेखपाल भर्ती लीक मामला जिसमें एसटीएफ काफी आगे बढ़ चुकी थी बहुत सारे साक्ष्य सबूत जुटा चुकी थी।
मुख्य आरोपी और उसके साथ एक दर्जन के करीब लोगों को पकड़ा जा चुका था उससे जांच का अधिकार छीनकर आनन-फानन में गठित एसआईटी को सौंप दिया गया। गरिमा ने आशंका जताई की क्या यह समझा जाए की एसटीएफ द्वारा पटवारी लेखपाल भर्ती का बिना सरकार को कॉन्फिडेंस में लिए खुलासे करने का दंड उन्हें दिया गया है? दसौनी ने आरोप लगाते हुए कहा की जिस जांच में एसटीएफ काफी काम कर चुकी है उस जांच को नए सिरे से एसआईटी को सौंप कर सरकार शासन का और युवाओं का समय खराब कर रही है।
दसोनी ने आगे कहा की पटवारी लेखपाल भर्ती घोटाले से धामी सरकार की अच्छी खासी किरकिरी हुई है ,इसी के मद्देनजर एसटीएफ द्वारा पटवारी लेखपाल भर्ती लीक का खुलासा ऐन जोशीमठ आपदा के समय पर किया जाना सरकार को नागवार गुजरा है।
दसोनी ने कहा की लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डीपी जोशी ने तो जैसे सरकार को इस मामले में निर्वस्त्र ही कर दिया ।
जोशी ने साफ कहा है कि इस भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी व्यक्ति तक प्रश्न पत्रों का पहुंचना अपने आप में हैरतअंगेज है और अकेले संलिप्त अधिकारी इतने बड़े कारनामे को अंजाम नहीं दे सकता। दसौनी का साफ तौर पर कहना है कि निश्चित रूप से आयोग के ही कुछ और लोगों के साथ भी उसकी सांठगांठ रही होगी ।
दसौनी ने कहा की आयोग के पूर्व अध्यक्ष जोशी ने यह भी कहा है कि जहां प्रश्नपत्र रखे जाते हैं उस पूरे एरिया को फ्रीज कर दिया जाता है ,सीसीटीवी कैमरा और जैमर लगाए जाते हैं ,मोबाइल फोन का अंदर ले जाना प्रतिबंधित होता है ऐसे में इन सभी व्यवस्थाओं की ओर धामी सरकार में ध्यान क्यों नहीं दिया गया?? दसोनी ने साफ शब्दों में कहा की चतुर्वेदी के अलावा लोक सेवा आयोग के जिन अधिकारियों ने लापरवाही की है और उपरोक्त सभी इंतजामो को सुनिश्चित नहीं किया और अनदेखा किया है उनके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए ।
दसोनी ने कहा कि राज्य सरकार लोक सेवा आयोग के अधिकारियों को जांच के दायरे में क्यों नहीं ले रही है? आयोग के अध्यक्ष को स्वयं इतने बड़े भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद और सैकड़ों युवाओं के भविष्य को अंधकारमय करने के बावजूद आत्मग्लानि नहीं हो रही है? आयोग के अध्यक्ष को चाहिए कि वह युवाओं का सामना करें और भविष्य में होने वाली भर्तियों में शुचिता और पारदर्शिता की बात कहकर युवाओं का भरोसा जीते।
दसोनी ने कहा कि पटवारी लेखपाल भर्ती लीक मामले से राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर बहुत सारे प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं एक तरफ जांच आनन-फानन में एसटीएफ से एसआईटी को सौंप देना वहीं दूसरी ओर लेख सेवा आयोग के अधिकारियों को इस जांच से अछूता रखना और आयोग के अध्यक्ष का अभी तक इस गलती के लिए सार्वजनिक रूप से खेद ना प्रकट करना अपने आप में बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
दसोनी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के युवाओं के साथ इतना बड़ा धोखा हो गया लेकिन सरकार को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा।