उत्तराखंड

चिपको की स्वर्णजयंती: आज के दिन तैयार हुई थी आंदोलन की रूपरेखा

आज से करीब 50 साल पहले उत्तराखंड में एक आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसे नाम दिया गया था चिपको आंदोलन। इस आंदोलन की चंडीप्रसाद भट्ट और गौरा देवी की ओर से की गई थी और भारत के प्रसिद्ध सुंदरलाल बहुगुणा ने आगे इसका नेतृत्व किया।

 

जब सरकार की सहमति पर जंगलों को काटने के लिए ठेकेदार मजदूरों के साथ पहुंचे तो ग्रामीण पेड़ से चिपक गए और कहा पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने से पहले हमारे शरीर पर चलेगी। महिलाओं सहित सभी ग्रामीणों के इस ऐलान ने पूरे उत्तराखंड में जागृति का शंखनाद कर दिया था और देखते ही देखते पूरे उत्तराखंड ही नहीं देश दुनिया का ध्यान इस ओर आया। जिसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया।

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26 मार्च 1974 का का दिन रेणी-चिपको आंदोलन के लिए अविश्वमरणीय है। इसी सुबह रेणी गांव की महिलाओं ने गौरा देवी की अगुवाई में ऋषिगंगा के जलागम में कट रहे हजारों पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान लगा दी। धौलीगंगा घाटी के रेणी गांव की इन महिलाओं ने 26 मार्च को नन्दा का रूप धारण कर नन्दा देवी चोटी के जलागम में बड़े पैमाने पर कटने वाले हजारों पेड़ों को कटने से बचाया। पेड़ काटने के लिए जंगल पहुंच भल्ला एंड कम्पनी के मजदूरों और वन अधिकारियों को गौरा देवी की सहयोगियों ने अहिंसक सत्याग्रह के आगे घुटने टेकने पड़े। लेकिन चिपको आंदोलन की रणनीति आज ही के दिन यानी 24 अप्रैल 1973 में बनी थी।

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24 अप्रैल 1973 उत्तराखंड के चमोली जिले के मंडल ( गोपेश्वर ) में दुनिया को वन और पर्यावरण संरक्षण के लिए दिशा देने वाले चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस ऐतिहासिक आंदोलन की शुरुआत की तिथि तथा चिपको स्वर्ण जयंती वर्ष के पूर्ण होने के अवसर पर मंडल के गढ़सैरा में मंडल घाटी के जनप्रतिनिधियों और महिलाओं की ओर से आयोजन किया जा रहा है। चिपको आंदोलन के प्रणेता और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित चंडीप्रसाद भट्ट बताते हैं कि 24 अप्रैल 1973 को मंडल घाटी के जंगलों को बचाने के लिए एक बैठक गौंडी मंडल में ठीक 50 साल पहले हुई थी। मंडल के तत्कालीन सभापति आलम सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में मण्डल के गौण्डी नामक स्थान में पेड़ों को काटने की कार्रवाई का अहिंसक रूप में प्रतिकार करने के लिए चिपको आंदोलन की पहली रूपरेखा तैयार हुयी। इसी दिन साइमंड कंपनी के हाथों मंडल के जंगल से अंगू के पेड़ों को बचाने के लिए इस पहली बैठक में शामिल लोगों की एक्शन कमेटी का गठन किया गया था।

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