उत्तराखंड

समलैंगिक विवाह को सुप्रीम कोर्ट की ‘ना’, अखाड़ा परिषद ने किया फैसले का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने का संतो की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के फैसले का स्वागत करते हुए कोर्ट के इस फैसले को सनातन संस्कृति, संस्कार और संवेदनाओं की रक्षा करने वाला बताया है।

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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के संबंध में फैसला सुनाया गया जिसमे कोर्ट द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किया गया है जिसके बाद कोर्ट के फैसले का हर तरफ स्वागत किया जा रहा है, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पूरी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इस फैसले से हमारी आने वाली युवा पीढ़ी को बचाया है समलैंगिक विवाह जैसी कुरुति का अखाड़ा परिषद द्वारा हमेशा से विरोध किया जाता रहा है और आगे भी यह विरोध जारी रहेगा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतो में खुशी है , उन्होंने समलैंगिक विवाह को सामाजिक कुरुति बताते हुए कहा कि कोर्ट में डाली गई याचिका में बच्चे गोद लेने की बात कही गई थी, जो व्यवहारिक रूप से संभव नही है अगर ऐसा हुआ तो बच्चे होंगे कहा से, कोर्ट ने इस फैसले से कही ना कही आने वाली पीढ़ी को बचाया है।

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