“सतपुली झील: पर्यटन और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के सपने का हुआ साकार, नए टेंडर के साथ शुरू होगा निर्माण”
महाराज का सपना हुआ साकार, सतपुली जलाशय के टेंडर जारी
■सतपुली व समूची नयार घाटी में बढ़ेंगी टूरिज्म एक्टिविटीज
■सतपुली कस्बे व बड़खोलू के दुनाव घाट के मध्य बनेगी झील
■82 मीटर चौड़ा व 4 मीटर ऊंचा होगा जलाशय, 74 लाख आएगी लागत
अजय रावत अजेय
पर्यटन एवम सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज द्वारा करीब 6 साल पूर्व देखा हुआ एक सपना अब मूर्त रूप धारण करने की दहलीज पर है। सिंचाई विभाग ने सतपुली में झील निर्माण के लिए निविदा जारी कर दी है। जल्द ही इस जलाशय का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस जलाशय निर्माण के बाद सतपुली व आस पास के नयार घाटी क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को पंख लगना तय है।
■महाराज का है यह ड्रीम प्रोजेक्ट
दरअसल वर्ष 2017 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में महाराज पर्यटन मंत्री बने तो उन्होंने अपनी विस् क्षेत्र के तहत सतपुली में एक झील निर्माण का प्रस्ताव रखा। महाराज की सोच थी कि इस झील के बनने से सतपुली में वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज शुरू होंगी और लैंसडाउन व देवप्रयाग क्षेत्र में आने वाले सैलानियों का फुटफॉल सतपुली व नयार घाटी की तरफ बढ़ेगा। क्योंकि सतपुली जहां लैंसडाउन से 30 किमी व देवप्रयाग से 40 किमी की दूरी पर स्थित है, ऐसे में पर्यटक आसानी से सतपुली आकर झील में नौकायन व वाटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकेंगे। किन्तु तत्कालीन सरकार द्वारा सतपुली के साथ तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत के गांव खैरासैन में भी झील के लिए डीपीआर बनाने की पहल शुरू कर दी। बताया जाता है तब सतपुली में झील को जेओलॉजिकल कारण बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के गांव में भूमि न मिल पाने के कारण इस दिशा में कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाया। किन्तु जब 2022 में जब महाराज को पर्यटन के साथ सिंचाई महकमें की कमान मिली तो उन्होंने इस हेतु अपने सर्वोच्च प्रयास शुरू कर दिए, अंततः नाबार्ड से बजट का इंतजाम कर इस हेतु स्वीकृति भी दिला दी।
■बहुआयामी लाभ मिलेंगे नायरघाटी क्षेत्र को
प्रांतीय राजमार्ग 32 व राष्ट्रीय राजमार्ग 534 के मध्य बनने वाली यह झील दोनों सड़कों पर आवाजाही करने वाले यात्रियों को दिखाई देगी, जिससे सतपुली की छटा पर चार चांद लग जाएंगे। फ़िलवक्त तक घाटी क्षेत्र में तमाम नैसर्गिक सुंदरता के बावजूद पर्यटन गतिविधियां ठहरी हुई हैं क्योंकि क्षेत्र में पर्यटकों के लिए अतिरिक्त एक्टिविटी न होने के कारण यहां सैलानी आकर्षित नहीं हो पाते। इस जलाशय के बनने के बाद पर्यटकों को वाटर स्पोर्ट्स की एक्टिविटी भी मिल सकेंगीं। वहीं नजदीकी लैंसडाउन पर्यटक स्थल को भी इस झील का खासा फायदा मिलना तय है। दरअसल, लैंसडाउन में भी पर्यटकों को भले ही अच्छे होटल्स आदि तो मिल जाते हैं लेकिन दर्शनीय स्थलों की संख्या सीमित है। अब लैंसडाउन के टूरिज्म सर्किट में सतपुली झील भी जुड़ जाएगी, जिससे होटल, रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में नई संभावनाएं पैदा होंगी। लब्बोलुबाब यह कि सतपुली झील नयार घाटी ही नहीं गढ़वाल जिले में पर्यटन का एक उम्दा डेस्टिनेशन बन कर उभरेगा।
■पर्यटन है जलाशय का पहला उद्देश्य
झील की रुपरेखा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले सहायक अभियंता सिंचाई उपखण्ड सतपुली श्री मौर्य ने बताया कि इस जलाशय का प्रारंभिक उद्देश्य क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना है। हालांकि इसके निर्माण के बाद सिंचाई व मत्स्य पालन जैसी अन्य सहायक गतिविधियों के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। बरसात के समय यह आगे के क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भू कटाव को रोकने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।