टिहरी : भाजपा के पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत बीते दिन कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। हरीश रावत ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई है। वहीं कांग्रेस ने ओम गोपाल रावत को नरेंद्रनगर विधानसभा से टिकट दिया है। यहां भाजपा के प्रत्याशी सुबोध उनियाल से उनकी सीधी टक्कर होगी। नरेन्द्रनगर विधानसभा में भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई है क्योंकि ओम गोपाल रावत की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है।
आपको बता दें कि नरेंद्रनगर विधानसभा सीट पर ओमगोपाल रावत 2002 से अब तक चार चुनाव लड़ चुके हैं। 2007 में ओम गोपाल रावत ने उक्रांद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और ओम गोपाल ने कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध उनियाल को चार वोटों से शिकस्त दी थी।
वहीं 2012 में सुबोध उनियाल कांग्रेस से नरेन्द्रनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे। उस समय सुबोध उनियाल मात्र 401 वोटों से जीते थे और जबकि 2012 में ओम गोपाल भाजपा के प्रत्याशी थे और चुनाव के मैदान में उतरे थे। ओम गोपाल रावत दूसरे नंबर पर रहे थे। नरेंद्र नगर विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है जिसके हार -जीत का गणित मुनी की रेती, ढालवाला और तपोवन तय करती है जो प्रत्याशी क्षेत्र में बढ़त बना लेता है तो यह समझो किउसकी जीत भी लगभग तय मानी जाती है।
क्षेत्र से लगातार वर्तमान विधायक सुबोध उनियाल का दबदबा रहा है। लेकिन 2017 के चुनाव से वोट बैंक में सेंधमारी हो रही है जो इस बार के चुनाव में कांटे का मुकाबला साबित होगा तथा इस बार का गणित कुछ नए समीकरण दिखा रहा है l अगर 2017 के चुनाव की बात की जाए तो सुबोध उनियाल के कुल 24 194 वोट में से क्षेत्र से 7453 वोट पड़े थे जबकि उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी निर्दलीय ओम गोपाल रावत को कुल वोट 19132 में से इस क्षेत्र में 4004 वोट पड़े थे जबकि इस बार रुझान सुबोध उनियाल के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहा है l
2017 के चुनाव में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शिव मूर्ति कंडवाल, सुबोध उनियाल के पाले में थे और वर्तमान में चुनाव लड़े पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष उत्तम सिंह राणा के पुत्र योगेश राणा सुबोध उनियाल के साथ थे यही नहीं भाजपा की ए और बी टीम ने पुरानी भाजपा व नई भाजपा दोनों साथ थे पर इस बार के चुनाव में समीकरण कुछ भिन्न है भाजपा स्वयं में बिखर गई ,टीम सुबोध अभी भी उन्हीं के साथ है ,ज्यादा भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा से बाहर है और जो अंदर है ,वह भाजपा का साथ किस हद तक साथ देंगे ,यह कहना मुश्किल है।
नरेंद्र नगर विधानसभा हमेशा से ही केंद्र बिंदु में ओम गोपाल बनाम सुबोध उनियाल रहे है। इसके बाद सुबोध उनियाल ने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का दामन थामा था और हरीश रावत की सरकार को गिरा दिया था। भाजपा में शामिल होने के बाद सुबोध उनियाल ने भाजपा से चुनाव लड़ा और जीते जबकि 2017 में ओमगोपाल ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय ताल ठोकी और उनियाल को कांटे की टक्कर दी, दूसरे स्थान पर रहे।
2017 में कांग्रेस ने हिमांशु बिज्लवाण को यहां अपना प्रत्याशी घोषित किया था जो हिमाशु तीसरे नम्बर में रहे। वहीं अब कांग्रेस ने ओम गोपाल रावत और भाजपा ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को टिकट देकर मैदान में उतारा है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।
खैर चुनाव आते आते ‘ऊंट किस करवट बैठेगा’ यह कहना अभी मुश्किल है ,किंतु यह है कि इस बार नरेंद्र नगर विधानसभा की लड़ाई कांटे की टक्कर साबित हुई और जीत हार गए गणित बहुत कम अंतर से होगा। देखने वाली बात होगी कि आखिर कौन इस सीट पर जीत हासिल करके विजय फतेह करता है।