उत्तराखंड

वर्दी शांति व्यवस्था का प्रतीक : अभिनव कुमार 

हरिद्वार। उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है। नया उत्तराखण्ड बनने के बाद हरिद्वार जिले को उत्तराखण्ड में शामिल न करने को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहे थे। हरिद्वार की सीमाओं से सटे जनपद मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बिजनौर के अपराधियों ने हरिद्वार को अपराध करने का एक ठिकाना भी बना लिया था और अपराधियों ने जनपद हरिद्वार को अपराध का ग्राफ बढ़ा रखा था। नया प्रदेश बनने के साथ सिडकुल जैसे प्रोजेक्ट भी लगाये जा रहे थे। उस समय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में अभिनव कुमार ने काम करना शुरू किया। जनपद में समस्याओं का झाल बिछा पड़ा हुआ था उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड राजनीति के बीच पद पर कार्य करना जटिल जरूर था लेकिन मुश्किल नहीं था। गंगा माँ की कृपा से जनपद की सीमाओं से नय-नये प्रयोग शुरू किये गये और सफलता हाथ चुमती चली गयी।
आज उत्तराखण्ड कें पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में हो रहे महाकुम्भ वॉलीबाल के मंच से जानकारी दी।
हरिद्वार जनपद में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। आप अपने अनुभव साझा किए। देश और दुनिया में हरिद्वार जनपद को धर्म राजधानी के रूप में जाना जाता है। यहां पर आने वाला हर श्रद्वालु गंगा के प्रति समर्पित होता है। इसीलिए गंगा साध्य है, और गंगा में स्नान करना जीवन का सार्थक सत्य है। गंगा से जो भी प्रत्येक व्यक्ति को आशीर्वाद मिलता है। उसका फल पुलिस विभाग को अवश्य जाता है पुलिस आम आदमी की सुरक्षा करती है और हर श्रद्वालु का विश्वास भी पुलिस पर होता है। हरिद्वार धार्मिक स्थल है। यहां से जो भी संदेश जाता है। उसका असर भारत के कौने-कौने पर पड़ता है। हरिद्वार में दो धारांएं बहती है। एक धारा धर्म की और दूसरी धारा राजनीति की। नये राज्य बनने के बाद धर्म राजनीति पर हावी होता जा रहा था। संतो की उद्घोषणा धर्म को और मजबूत बनाती जा रही थी। हरिद्वार धर्म की नगरी है जिसमें आस्था और संस्कारों को पल्लवित किया जाता है। संतो के आशीर्वाद से जनपद में नये-नये कार्य करने का अवसर मिला जिससे हरिद्वार की छवि और निखरती गई।
आप वर्दी के प्रति सदैव संवेदनशील रहे है। वर्दी की रक्षा करना आपके अंग अंग में बसा हुआ है। गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने क्ळच् अभिनव कुमार की अंतर्मन की पुलिस की सुगन्धि को अपने शब्दों में इस प्रकार से प्रकट किया कि अभिनव कुमार बनाम वर्दी को शांति व्यवस्था का प्रतीक बताया। उन्होंने पुलिस को देवता बताया। पुलिस जहां पर होती है वहां पर शांति निवास करती है। पुलिस अपराध पर लगाम लगाती है और गुनहगारों को सजा देती है। अभिनव कुमार को समझना होगा तो पहले वर्दी को समझना होगा। और पुलिस विभाग ऐसे अधिकारियों के नाम से जाना जाता है। उत्तराखण्ड में अभिनव कुमार को काम करते हुए एक युग सा हो चला है उनके माथे पर ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की तिलक आज भी झलक रहे है।
उत्तराखण्ड में पुलिस को मित्र पुलिस कहा जाता है। यह श्लोगन है। इस परंम्परा को धार-धार बनाने में अभिनव कुमार का बहुत विशेष योगदान दिखाई देता है।
उत्तराखण्ड देवताओं का देव स्थल है। जिसमें देव साक्षात निवास करते है। पुलिस हमारी देवदुत है। पुलिस जब देवदुत होती है। तो राक्षस उस राज्स से अपने आप समाप्त हो जाते है। पुलिस नये-नये प्रयोग वैदिक परंम्पराओं के साथ कर रही है। इन प्रयोग को आम जनता का अंगीकार बनाया जा रहा है।
जिन्दगी को स्वस्थ रखना है तो खेलना अत्यन्त आवश्यक है खेल जिन्दगी का एक हिस्सा बनना चाहिए। खेल हमारा आन्तरिक विकास करती है जिससे हमारा शरीर हष्ट-पुष्ट बना रहता है। हर व्यक्ति को प्रत्येक दिन खेलना चाहिए खेलना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। जितना खेलोगे उतना खुश रहोगे और खुशी हमारे व्यक्तित्व को ऊर्जावान बनाती है। खेल कोई भी हो रोज खेलना चाहिए। आज विश्वविद्यालय, विद्यालय और स्कूलों में खेल को प्राथमिकता से लिया जा रहा है। शिक्षण संस्थानांे में खेल पाठ्यक्रम बनते हुए जा रहे है। खेलों से बच्चों का विकास तो हो ही रहा है। साथ ही खेल बच्चों के लिए रोजगार भी बनते जा रहे है। जितना अच्छा बच्चा खेलता है व बच्चा उतना ही अच्छा धन कमा रहा है। इसीलिए खेल धन और रोजगार के साधन बनते जा रहे है। बहुत सारे बच्चे अच्छा खेल कर घर और देश का नाम रोशन कर रहे है।
आज गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एंव खेल विभाग के वॉलीबाल महाकुम्भ में उत्तराखण्ड के डीजीपी अभिनव कुमार ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में प्रमुख सचिव खेल था तब खेल नीति का निर्माण किया गया था। उत्त्राखण्ड में बहुत सारे छात्रों ने खेल के क्षेत्र में नये-नये आयाम स्थापित किये है। हरिद्वार जनपद के छात्र-छात्राओं ने खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अन्तंर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड का नाम रोशन किया है। सरकार खेल नीति बनाने के साथ ऐसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होेंने कहा कि राज्य में खेलों का संवर्द्धन खेलों से जुड़े सभी घटकों यथा राज्य सरकार के विभिन्न विभाग, संस्थायें, शैक्षिक संस्थान, पंचायत, खेल संघ एवं खिलाड़ी के समन्वित प्रयासों से प्राप्त किया जायेगा।
खेलों के उन्नयन हेतु अधोगामी तकनीकी का प्रयोग किया जायेगा। इसके अर्न्तगत स्थानीय खेल सुविधाओं के संवर्धन के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर आवश्यकता-आधारित विकास दृष्टिकोण अपनाने पर विशेष बल दिया गया। खेल विभाग, खेल सुविधाओं एवं अवसंरचानाओं की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ उन्हें जनसामान्य, खिलाड़ियों, महिलाओं, वेटरन एवं दिव्यांग खिलाड़ियों की सुलभ पहुँच हेतु आवश्यक कार्य होगा। खेल विभाग अपनी विभिन्न इकाइयों, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों एवं खेल संघो के माध्यम से बाल्यकाल से ही खेल प्रतिभाओं को पहचानने का कार्य करेगा एवं प्रतिभा के सादृश्य खेल हेतु उन्हें प्राथमिक एंव द्वितीयक प्रशिक्षण उनकें गृह क्षेत्र में एवं तृतीयक प्रशिक्षण उच्च स्तरीय चयनित प्रशिक्षण केन्द्रों में उपलब्ध करायेगा।
उन्होंने कहा कि खेल कोटा के माध्यम से खिलाड़ियों का संवर्द्धन किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को नौकरी भी दी जा रही है। खेल नीति से उन खिलाडियों का लाभ अवश्य मिलेगा जिन्होंने ख्ेाल की विधा में कार्य करना शुरू कर दिया है। खेल कोटा से रेल विभाग में भी नौकरियां मिल रही है। उत्तराखण्ड के कई जनपदों में खिलाडियों ने अच्छी खासी पहचान बनाई है।
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