उत्तराखंड

हतप्रभ: कहीं ऋषिकेश में ये लाइन चरितार्थ तो नहीं “अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ”




ऋषिकेश निगम को मिले बजट से हतप्रभ कई सभासद अब इस नाराजगी को लेकर प्रमुख सचिव के दरबार मे पहुंचेंगे। पार्षदों को उम्मीद थी कि ऋषिकेश के चौथी बार के विधायक और वर्तमान शहरी विकास और वित्त मंत्रालय की कमान संभाले प्रेम चंद्र अग्रवाल द्वारा अपने क्षेत्र के निगम के लिए कुछ अच्छा सोचेंगे।

लेकिन पार्षदों के आरोप है कि राज्य के अन्य निगमों की अपेक्षाकृत ऋषिकेश को पंचम राज्य वित्त आयोग के दौरान चार करोड़ 48 लाख 71 हजार का जो बजट प्राप्त हुआ है, वह ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। जबकि ऋषिकेश नगर निगम उत्तराखंड राज्य के मुख्य द्वार पर ‌होने के कारण मुख्य श्रेणी में आता है। जिस की उपयोगिता को समझते हुए शासन स्तर पर पालिका से अपग्रेड कर निगम का दर्जा दिया गया है। जबकि इसी बजट से निगम के कर्मचारियों को वेतन के अतिरिक्त रिटायरमेंट होने वाले कर्मचारियों को पेंशन और उनके भत्ते भी दिए जाने हैं।

इस दौरान पार्षद राकेश सिंह, गुरविंदर सिंह, ने कहा कि ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी ऋषिकेश को बजट आवंटित ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है । जिसके कारण ऋषिकेश के विकास कार्य भी बाधित होंगे। उन्होंने कहा कि महापौर को इस संबंध में गंभीरता पूर्वक‌ विचार कर राजनीति को किनारे करते हुए एकजुटता के साथ अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ना चाहिए।

 

इनकी भी सुनिए-
ऋषिकेश-राज्य वित्त आयोग द्वारा त्रैमासिक बजट में ऋषिकेश नगर निगम का बजट ना बड़ाये जाने का मामला तूल पकड़ गया है। बजट में समूचे उत्तराखंड के तमाम नगर निकाय, नगरपालिकाओं एवं नगर निगमों में सिर्फ ऋषिकेश नगर निगम की अनदेखी से आहत निगम बोर्ड ने बजट को स्वीकार ना करने का निर्णय लिया है।

बता दें कि मंगलवार को नगर निगम महापौर अनिता ममगाई की अध्यक्षता में निगम के स्वर्ण जंयती सभागार में राज्य वित्त आयोग के बजट को लेकर उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों को लेकर सिंगल ऐजेण्डे पर आहुत हुई आपात बैठक में तमाम पार्षदों ने एक स्वर में बजट को स्वीकार ना करने का निर्णय लिया है। बैठक की अध्यक्षता कर रही महापौर अनिता ममगाई ने कहा कि बजट में ऋषिकेश नगर निगम की घोर उपेक्षा से ना सिर्फ नगर निगम बोर्ड के तमाम सदस्य बल्कि तीर्थ नगरी का आम जनमानस के साथ व्यापारी एवं बुद्विजीवी वर्ग भी आहत है।

क्या कहते हैं नेता प्रतिपक्ष-

नेता प्रतिपक्ष मनीष शर्मा ने कहा कि बजट में ऋषिकेश की उपेक्षा पर नगर विकास मंत्री का यह कहना की उन्हें इसकी जानकारी नही है बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। स्थानीय विधायक होने के नाते उन्हें सबसे पहले ऋषिकेश नगर निगम के बजट पर निगाह रखनी चाहिये थी। पार्षद विकास तेवतिया ने कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर बजट पर कोई अनुकूल निर्णय ना हुआ तो बोर्ड के तमाम सदस्यों को इस्तीफे के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बैठक में
विचार व्यक्त करते हुए पार्षद राकेश सिंह मिंया ने कहा कि वित्त एवं शहरी विकास मंत्री के गृहनगर क्षेत्र में जिस प्रकार बजट में ऋषिकेश नगर निगम की घोर उपेक्षा की गई है उससे निगम की स्थिति आने वाले दिनों में इस बदतर हाल में हो जायेगी जहां निगम के पास ना अपने कर्मचारियों को देने के लिए तनख्वाह होगी और ना ही छिड़काव करने के लिए कीटनाशक दवाएं। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मसले पर पक्ष विपक्ष के तमाम पार्षदों को संघर्ष करना होगा वर्ना इसके गंभीर परिणाम शहर के तमाम विकास कार्यों के प्रभावित होने से सबको भुगतने होगें। पार्षद विपिन पंत,जगत सिंह नेगी,भगवान सिंह पंवार विजय बडोनी ने इस मामले को मुख्यमंत्री दरबार में उठाने की बात कही।पार्षद गुरविंदर सिंह ने कहा कि ऋषिकेश नगर निगम के लिए बेहद शर्मनाक है कि निगम के बजट में कोई बढोतरी नही की गई।जबकि यात्राकाल चरम पर है।ऐसे में सफाई सहित तमाम छोटे बड़े कार्यों पर ग्रहण लगना तय है।

-पार्षदों की भी सुनिए-
पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट, विजय बडोनी, राधा रमोला,प्रभाकर शर्मा,सुंदरी कंडवाल ने इस गंभीर मसले पर एकजुटता के साथ संजय करने की बात कही। बैठक में सहायक नगर आयुक्त आनंद मिश्रवान, अधिशासी अभियंता विनोद जोशी, पार्षद विजयलक्ष्मी शर्मा, पुष्पा मिश्रा ,शकुंतला शर्मा ,लक्ष्मी रावत ,उमा बृजपाल राणा, प्रियंका यादव, अजीत सिंह गोल्डी, विकास तेवतिया, देवेंद्र प्रजापति,मनीष मनवाल,विजेंद्र मोगा,आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

 

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