भाजपा ने संगठन में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने 15 राज्यों/ क्षेत्रों के संगठन प्रभारियों और सह प्रभारियों को बदल दिया है।
अगले वर्ष विधानसभा चुनाव में जाने वाले राज्यों मध्यप्रदेश में पी. मुरलीधर राव, राजस्थान में अरुण सिंह और तेलंगाना में तरुण चुघ को संगठन प्रभारी बनाया गया है। छत्तीसगढ़ में ओम माथुर को प्रभारी पद की जिम्मेदारी दी गई है। नीतीश कुमार से तालमेल गड़बड़ाने के बाद बिहार में सत्ता गंवाने वाले राज्य में विनोद तावड़े को प्रभारी बनाया गया है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों का असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी होगा, लिहाजा पांच चुनावी राज्यों में प्रभारियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव को बेहद महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
हरियाणा में बिप्लब कुमार देब को प्रभारी बनाया गया है। झारखंड में लक्ष्मीकांत वाजपेयी को प्रभारी पद के रूप में उतारकर उनके सांगठनिक अनुभव का लाभ लेने की कोशिश की गई है, तो केंद्र सरकार में मंत्री पद से हटाए गए प्रकाश जावड़ेकर को केरल का प्रभारी बनाया गया है। इस तरह प्रकाश जावड़ेकर को पार्टी संगठन में एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी वापस देकर लाया गया है।
पश्चिम बंगाल का किला जीतने में असफल रही भाजपा ने अब अपने तरकश से नया तीर निकालकर ममता दीदी के गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति बनाई है। बिहार के तेज तर्रार नेता मंगल पांडेय को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाकर उन्हें बेहद अहम जिम्मेदारी दी गई है। अपने ट्वीट और सोशल मीडिया पर सक्रियता से विपक्षी दलों को असहज करने वाले पार्टी नेता अमित मालवीय पश्चिम बंगाल में भाजपा के सह प्रभारी होंगे।
भारतीय जनता पार्टी के लिए नॉर्थ-ईस्ट उसकी बड़ी प्राथमिकता में शामिल रहा है। लिहाजा भाजपा ने इन राज्यों में पार्टी के प्रखर प्रवक्ता संबित पात्रा को प्रभारी बनाया है। उन्हें न केवल इन राज्यों में बने पार्टी के आधार को बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है, बल्कि इन क्षेत्रों की लोकसभा सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने के लिए जमीन तैयार करने की रणनीति भी बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
अहम होंगे ये चुनाव
चूंकि, 2023 में देश के नौ प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले इन राज्यों के चुनाव परिणाम बहुत महत्त्वपूर्ण होंगे। इन्हें लोकसभा के पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जाएगा और इन राज्यों में बढ़त या हार को सीधे लोकसभा चुनाव में सरकार या विपक्ष के संभावित प्रदर्शन से जोड़कर देखा जाएगा। यही कारण है कि पार्टी ने नई रणनीति के साथ अनुभवी और युवा प्रभारियों की टीम उतारी है। पार्टी ने इन नौ राज्यों में से पांच में प्रभारियों के कामकाज में बदलाव किया है।