उत्तराखंड

Big breaking:पकड़ में आया नरेंद्रनगर के उपकोषागार का करोड़ो के घोटाले का मामला सामने,गिरफ्तार,,,

टिहरी गढ़वाल। नई टिहरी कोषागार में पिछले दिनों घटित 2 करोड़ की फर्जीवाड़ा की घटना अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि,नरेंद्रनगर का कोषागार घोटालों के मामले में नई टिहरी कोषागार को पीछे छोड़ पहले पायदान पर जा पहुंचा।
इस कोषागार में 2 करोड़ 48 लाख 46 हजार 829 रुपए का फर्जीवाड़ा किए जाने का घोटाला सामने आया है।
हैरतअंगेज करने वाली बात तो ये है कि गिरफ्तार किए गए पांच अभियुक्तों में इस धोखाधड़ी को अंजाम देने वालों में कोषाधिकारी,लेखाकार व कोषागार में तैनात पीआरडी का जवान के अलावा नरेंद्रनगर स्थित पशुपालन विभाग का लिपिक तथा एक अन्य बिहार का रहने वाला बताया जा रहा है जो यहां ठेकेदारी ,दिहाड़ी-मजदूरी करता है।

 

बताते चलें कि नरेंद्रनगर के कोषागार में फर्जीवाड़े का घोटाला पकड़े जाने के तुरंत बाद कोषागार अधिकारी नई टिहरी के माध्यम से नरेंद्रनगर थाने में 6 जनवरी को मुकदमा पंजीकृत किया गया था।

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संगीन जुर्म के इस मामले का संज्ञान लेते ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक टिहरी के आदेश पर नरेंद्रनगर की पुलिस ने एस एच ओ प्रदीप पंत की अगुवाई में तत्काल कार्रवाई कर अभियुक्तों को पकड़ने में शानदार पुलिस कार्रवाई की मिसाल पेश की,पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई के लिए गठित टीम को एसएसपी टिहरी नवनीत सिंह भुल्लर ने 2500 का नगद पुरष्कार देकर सम्मानित किया। पूरे मामले में पुलिस अभी जांच में जुटी है।

इस घोटाले में संलिप्त कोषागार के पकड़े गए अभियुक्त विगत कुछ वर्षों से घोटाले के इस कार्य को अंजाम देते रहे हैं।
दरअसल वे बेझिझक ई-कोष पोर्टल पर लॉगइन कर पेंशनर्स के डाटा में छेड़छाड़ कर कूट रचना करते हुए पेंशनर के बैंक खातों के स्थान पर स्वयं अपने तथा अपने परिचितों के बैंक खातों में फर्जी तरीके पेंशन एरियर का भुगतान कर फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया करते थे।

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पुलिस ने कहा कि उक्त बात अभियुक्तों ने पूछताछ में बताते हुए खुलासा किया कि वे ज्यादातर उन पेंसिल फाइलों को छंटनी किया करते थे,जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी होती थी। पुलिस ने बताया कि अभियुक्तों का यह भी कहना था कि वे मृतकों के ई-पोर्टल में उनके जीआरडी नंबर पर उन्हें जीवित दर्शा कर उनके खाता और नाम को कूच रचित कर अपना या अन्य अपने परिचितों के नम्बर/नाम डालते हुए धनराशि को खातों में डाल दिया करते थे।

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पुलिस ने बताया कि इसके अलावा ये अभियुक्त गण जिन परिचितों/सह अभियुक्तों के खातों में पैसा डाला करते थे,उन्हें कमीशन के रूप में कुछ धनराशि देकर बाकी धनराशि वापस ले लेते थे।

 

आखिर अनैतिक तरीके से लाभ कमाने वालों के इस धंधे का पर्दाफाश होते ही,वे पुलिस के हत्थे चढ़ गये।
अपर पुलिस अधीक्षक राजन सिंह का कहना है कि इस फर्जीवाड़ा के धंधे में 12 लोगों की संलिप्त होने की खबर मिल रही है।
उन्होंने बताया कि बाकी अभियुक्तों को भी पुलिस जल्द गिरफ्तार करेगी। *अभियुक्तों को पकड़ने वाली गठित टीम में एस एच ओ प्रदीप पंत, एसएसआई शमशेर अली,एस आई शांति प्रसाद डिमरी,कांस्टेबल सुभाष रयाल,सचिन रावत, वीरेंद्र सिंह नेगी, प्रदीप खंडूरी व तेजवीर सिंह शामिल थे,*

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