देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के उत्तराखंड में विधान परिषद की वकालत करने पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि देशभर के छोटे राज्यों में विधान परिषद का कोई उदाहरण नहीं है। इसलिए उत्तराखंड में विधान परिषद बनाए जाने की बात कहना सरासर बेईमानी और जनता के पैसों की बर्बादी के सिवाय और कुछ नहीं है।
महाराज ने कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में विधान परिषद का गठन औचित्यहीन और जनता के पैसे की बर्बादी है। उन्होंने कहा कि वह प्रदेश के कांग्रेस नेता को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्हीं की पार्टी के एक प्रमुख नेता तत्कालीन चुनाव प्रभारी सुरेश पचौरी के सामने भी जब 2002 में विधान परिषद के गठन का विषय आया था तो उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यह व्यवस्था छोटे राज्य में नहीं है इसलिए उत्तराखंड में विधान परिषद का कोई औचित्य नहीं है। तब उन्होंने इस विषय को चुनाव घोषणा पत्र में भी शामिल करने से इंकार कर दिया था।
महाराज ने कहा कि हिमाचल के साथ-साथ नवगठित छत्तीसगढ़, झारखंड और देश के अन्य किसी भी छोटे राज्य में विधान परिषद नहीं है। आंध्र प्रदेश तक ने अपने यहां विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया हुआ है।
उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में भी विधान परिषद के गठन की बात कहना सरासर बेईमानी और जनता की गाढी कमाई की लूट के अलावा और कुछ नहीं है। इसके बजाए पूरा पैसा विकास कार्यों में लगने चाहिए ताकि प्रदेश का सर्रवांगीण विकास हो सके।
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