उत्तराखंड

Chardham Yatra 2023: इस बार यह रिपोर्ट दिखाने के बाद ही मिलेगी घोड़ा संचालन की अनुमति




Chardham Yatra 2023: इस बार यह रिपोर्ट दिखाने के बाद ही मिलेगी घोड़ा संचालन की अनुमति

 

आगामी 22 अप्रैल को यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। यात्राकाल में खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले पैदल मार्गों की कठिन चढ़ाई पर घोड़ा-खच्चर ही तीर्थ यात्रियों को राहत देते हैं। वहीं इस बार चारधाम यात्रा पर बाहर से आने वाले घोड़ा-खच्चर संचालकों को घोड़ा-खच्चर के संचालन के लिए उनकी ग्लैंडर्स निगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी। इसके बाद ही घोड़ा-खच्चरों को राज्य में प्रवेश करने दिया जाएगा। घोड़ा-खच्चर और रिपोर्ट की जांच के लिए पशुपालन विभाग राज्य के सीमा क्षेत्रों में जल्द पांच निगरानी चौकी स्थापित करने जा रहा है।

 

रिपोर्ट दिखाने पर मिलेगा प्रवेश

बता दें कि उत्तराखंड के अलावा जम्मू, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद, सहारनपुर व बिजनौर समेत विभिन्न शहरों से संचालक यात्रा के लिए घोड़ा-खच्चर लेकर यहां पहुंचते हैं। बाहर से आने वाले घोड़ा-खच्चर संचालकों को घोड़ा-खच्चर के संचालन के लिए उनकी ग्लैंडर्स निगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी। इसके बाद ही घोड़ा-खच्चरों को राज्य में प्रवेश करने दिया जाएगा।

 

ग्लैंडर्स को लेकर विभाग सतर्क 

बीते वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान राज्य में सैकड़ों घोड़ा-खच्चर की मौत हुई थी। इसी को देखते हुए पशुपालन विभाग ने यात्रा में बाहर से आने वाले घोड़ा-खच्चर के लिए ग्लैंडर्स की रिपोर्ट अनिवार्य की है। यह रिपोर्ट एक माह के भीतर की होनी चाहिए। ग्लैंडर्स को लेकर विभाग सतर्क है। इस संबंध में सभी जिलों के चिकित्सकों को भी निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड से सटे राज्यों से ग्लैंडर्स के मामले आने पर सतर्क रहने और सूचित करने को कहा गया है।’

 

रिपोर्ट नहीं होने पर लौटना पड़ेगा वापस 

निगरानी चौकी विकासनगर, सुभाषनगर व आशारोड़ी (देहरादून), श्यामपुर (हरिद्वार) और रुड़की में बनाई जाएंगी। प्रत्येक चौकी में पशु चिकित्सक समेत तीन सदस्यीय टीम तैनात रहेगी। जो ग्लैंडर्स की रिपोर्ट के साथ घोड़ा-खच्चर की जांच करेगी। ग्लैंडर्स की रिपोर्ट निगेटिव नहीं होने पर पशु संचालकों को लौटा दिया जाएगा।

 

यह होता है ग्लैंडर्स

ग्लैंडर्स एक संक्रामक बीमारी है, जो अश्व प्रजाति यानी घोड़ा-खच्चर में होती है। इस बीमारी से ग्रसित पशु के शरीर पर गांठ पड़ जाती हैं। मुंह से खून आने के साथ सांस संबंधी तकलीफ बढ़ जाती है और लीवर व गुर्दे खराब हो जाते हैं। अंतत: पशु की मौत हो जाती है।

 

 

 

 

 

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