देशः झारखंड में देवघर के रोपवे हादसे में 46 घंटे बाद आखिरकार रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है। जिंदगी बचाने के लिए शुरू हुए इस महाअभियान के दौरान 47 लोग बचाए गए वहीं 4 की मौत हो गई। केबिन नंबर सात में फंसे छठी लाल साह को निकालने के बाद दोपहर करीब 12 बजकर 55 मिनट पर अभियान समाप्ति की घोषणा की गई। दो दिनों तक चले इस अभियान में भारतीय वायुसेना, आइटीबीपी और एनडीआरएफ की टीम ने जहां 47 लोगों की जान बचाई, वहां जिंदगी के करीब आकर भी दो लोगों का साथ छूट गया। वहीं इस पूरे हादसे में चार लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार मालूम हो कि मंगलवार सुबह छह बजे से ही इंडियन एयरफोर्स समेत आइटीबीपी व सेना के जवान और एनडीआरएफ की टीम के साथ स्थानीय लोग रोपवे में फंसे लोगों को बचाने की जद्दोजहद में जुटी थीं। इससे पहले सोमवार को भी 32 लोग बचाए गए थे, जबकि एक की मौत हो गई थी। मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 14 लोगों की जान बचाई गई। सुबह आयकर के एक अधिकारी नीरज किशोर के साथ इनके पुत्र नमन नीरज और अभिषेक नंदन को रेस्क्यू किया गया। छह नंबर केबिन में छठी लाल साह के पांच रिश्तेदार भी फंसे थे, जिन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया था।
गौरतलब है कि रविवार को रोप-वे का सैप (पुल्ली) टूट जाने से हादसा हुआ था। इसी पुल्ली के सहारे तार पर केबिन सरकते हैं। इसके टूटने से दो केबिन आपस में टकरा गए। घटनास्थल पर मौजूद कई लोगों का कहना था कि रोप-वे का रखरखाव यदि ठीक होता तो यह हादसा नहीं होता। समय-समय पर रोप-वे की जांच होनी चाहिए। जिस रोपवे से इंसान जाते हैं, उसका सैप टूटना बताता है कि कहीं न कहीं खामी है। उसमें कोई न कोई कमी रही होगी, तभी वह टूटा। उसकी समय पर जांच होती तो कमी पकड़ में आ जाती।