उत्तराखंड

किसान: आजकल सब्जियों में लग रहे हैं कीट, पढिये ये उपाय, झट होगा समाधान…




देशः सब्जियों की खेती का प्रचलन नई तकनीकी व गुणवत्तायुक्त बीजों  जिसमें हाइब्रिड बीज मुख्य हैं के प्रसार व लॉकडाउन से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के रोजगार में विपरीत असर होने से खेती -किसानी व खेती- किसानी के साथ -साथ सब्जी उत्पादन, मुर्गीपालन, मधुमक्खीपालन, बकरीपालन, मशरूम उत्पादन डेयरी पदार्थों का विपणन आदि कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर कर रहें हैं स्थानीय स्तर पर इन उत्पादों की खपत होना व उत्पाद का मूल्य नकद मिलना जो किसान की आय को चिरन्तरता दे रहा है।

सब्जियों की खेती में कई तरह के रोग लगते है जिसके लिए रोग प्रबंधन होना आवश्यक है जिससे कि समय पर उपचार करके हानि से बचा जा सकता है-

सब्जियों में रोग प्रबंधन- 

सब्जियों के लिए समशीतोष्ण जलवायु जो गर्म व नमी  का वातावरण तैयार करती है जो सब्जी उत्पादन हेतु  उपयुक्त वातावरण है। गर्म व नम वातावरण होने से कीट व व्याधियों का असर सब्जियों पर शीघ्र पड़ता है पहाड़ में बेमौसमी सब्जियों की खेती की जाती है जिससे वर्षभर सब्जियों की आपूर्ति होती रहती है।

सब्जियों में प्रमुखतः टमाटर, बैगन, फेंचबीन, आलू आदि की मांग वर्षभर रहती है पर सब्जियों की खेती मेंमृदा जनित, बीज जनित, कीट, व्याधियों व फफूंद का असर बहुत बुरा असर पड़ता है जिससे कि उत्पादन में 10 से 30 प्रतिशत व कभी कभी 50 से 60 प्रतिशत नुकसान तक होता है टमाटर व बैगन में यह समस्या अधिकतर होती है।

खेती के कार्य को समय पर निबटना होता है क्योंकि खेती में समय का अत्यधिक महत्व है सही समय पर समस्या का समाधान न होने पर क्षति की मात्रा बढ़नी सुनिश्चित है।

समेकित प्रबंधन हेतु अवयव/ सुझाव-

1- अगेती या पछेती बुवाई या रोपाई करें।

2- रोगप्रतिरोधी किस्मों के चयन करके बुवाई करना चाहिए।

3- गहरी जुताई मिट्टी पलट हल से करने के बाद 3 से 4 जुताई देशी हल से करनी चाहिए।

4- मिट्टी को धूप से उपचारित करना।

5- मल्चिंग का प्रयोग करना।

6- खरपतवार प्रबंधन निराई गुड़ाई।

7- जल निकास का उचित प्रबंध करना।

8- क्रांतिक अवस्था के समय सिचाई करना।

9- मृदा में कार्बनिक पदार्थो की उपलब्धता बनाये रखना।

10- वर्मी कमोपस्ट या कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करना।

11- सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा को मिट्टी में बनाये रखना।

12- गोमूत्र अर्क ओर नीम से तैयार नीम तेल, नीम की खल का प्रयोग करना।

13- उन घासों का प्रयोग करना जिन्हें पशु चारे के रूप में खाना पसंद नही करते जैसे- अखरोट की पत्ती, करंज, लेंटाना, नीम आदि का छिड़काव रोग व कीटों के लिए करना।

खेत मे दीमक की समस्या की समस्या का समाधान- 

प्रायः देखा जाता है कि खेत मे दीमक की समस्या अधिकतर होती है जिससे पौधे की जड़ों में सड़न पौध का वृद्धि न करना, मृदा कणों के आपस मे जुड़ने से जल ग्रहण करने की क्षमता कम होना आदि समस्या होती हैं।

दीमक की रोकथाम-  खेत मे जगह जगह पर मिट्टी के घड़े में मक्का के दाने निकालकर ठूंठ को रख देते है मिट्टी में घड़ा इस तरह रखते है कि घड़े का मुहं खुला रहे बाकी घड़ा मिट्टी के अंदर इन ठूंठ को खाने के लिए दीमक घड़े में एकत्र होते है इन दीमकों का निस्तारण खेत से दूर करना चाहिए।

प्रकाश प्रपंच का प्रयोग- 

सब्जियों की खेती में प्रकाश प्रपंच का प्रयोग होना अति आवश्यक है क्योंकि सब्जियों में तरह तरह के कीटों का प्रकोप होता है जिनको पकड़ना आवश्यक है।

प्रकाश प्रपंच को घर पर भी तैयार किया जा सकता है

1- खेत मे विद्युत बल्ब के एक तरफ  किसी चमकीली टिन को लगाए व बल्ब जमीन से इतनी ऊंचाई पर लगाएं की कीट बल्ब की तरफ आकर टिन से टकराकर नीचे रखे पानी के बर्तन में गिर जाए पानी के साथ केरोसिन तेल की एक परत होना जरूरी है जिससे कीट दुबारा उड़ न पाए।

प्रकाश प्रपंच से लगभग सभी उड़ने वाले कीटों से सुरक्षा हो जाती है विशेष रूप से उकठा की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा कारगर उपाय है पहाड़ी भाषा मे उक्शा कहते हैं।

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