उत्तराखंड

त्योहार: सब जगह घी संक्रांति,घी संक्रांति,पहले जान तो लो क्या है घी संक्रांति,पढ़िये महत्व,,




आस्था। इस बार सूर्य 17 अगस्त को कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश करने से यह सिंह संक्रांति कहलाएगी। खास बात ये है कि सिंह राशि के स्वामी स्वयं सूर्यदेव ही है, इसलिए ये कहा जा सकता है सूर्यदेव अपने ही घर में प्रवेश कर रहे हैं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो, वे इस दिन कुछ खास उपाय करें तो उनकी मुश्किलें कम हो सकती हैं। भारत के कुछ राज्यों में सिंह संक्रांति को घी संक्रांति (Ghee Sankranti 2022) भी कहते हैं। आगे जानिए घी संक्रांति का महत्व व अन्य खास बातें…

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जानिए सिंह संक्रांति का महत्व (Know the importance of singh Sankranti?)
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आ जाता है। जिससे सूर्य बली हो जाता है यानी इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। ऐसा होने से रोग खत्म होने लगते हैं और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।
– धर्म ग्रंथों में सिंह राशि में स्थित सूर्य की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। लगभग 1 महीने के इस समय में रोज सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही इस दिन में सूर्यदेव के साथ-साथ भगवान नरसिंह की पूजा भी करनी चाहिए।
– सूर्य संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करे के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्यदेव से संबंधित शुभ फल मिलने लगते हैं और सभी तरह के दोष जैसे कालसर्प, पितृ आदि का अशुभ प्रभाव भी कम होता है।

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सिंह संक्रांति पर क्यों खाते हैं घी? (What is the tradition of Ghee Sankranti?) 
सिंह संक्रांति या घी खाने का विशेष महत्व माना जाता है। हालांकि ये परंपरा हिमाचल प्रदेश और इसके आस-पास के क्षेत्रों में ही निभाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सूर्य संक्रांति पर भोजन में घी का प्रयोग करता है, उसकी याददाश्त, बुद्धि, बल और ऊर्जा में वृद्धि होती है। भोजन में गाय के घी का उपयोग करने से वात, कफ और पित्त दोष जैसी परेशानियां नहीं होती। ऐसा भी कहा जाता है कि सिंह संक्रांति पर घी खाने से कुंडली में राहु-केतु दोष से भी मुक्ति मिलती है।

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