उत्तराखंड

उत्तराखंड की विरासत: बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल होगा राज्य का समृद्ध एवं सांस्कृतिक धरोहर




देहरादून:  अब ‘उत्तराखंड की विरासत’ बच्चों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी। एससीईआरटी उत्तराखंड ने इसका रोड मैप तैयार कर लिया है। इस बारे अजीम प्रेमजी फाउंडेशन सभागार में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन हो गया।

कार्यशाला में महानिदेशक विद्यालय शिक्षा वंशीधर तिवारी ने कहा कि बच्चों को उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने के लिए हमारी विरासत और हमारी विभूतिया नाम से पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से जहां बच्चों को महान विभूतियों के जीवन को जानने का अवसर मिलेगा, वहीं वे इन महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा भी प्राप्त कर सकेंगे

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण वंदना गर्ब्याल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण पर बल दिया गया है। हमारी विरासत पुस्तक लेखन इसी दिशा में एक प्रयास है। इससे नई पीढ़ी को उत्तराखंड की समृद्ध परंपरा और विरासत को जानने का अवसर प्राप्त होगा।

संयुक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने कहा कि हमारी विरासत पुस्तक के लेखन के लिए शिक्षकों, डाइट और एससीईआरटी विशेषज्ञों के अलावा स्वतंत्र लेखकों को भी आमंत्रित किया गया है। संयुक्त निदेशक कंचन देवराडी ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा और शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देशों के तहत प्रथम चरण में कक्षा 6 से 8 तक के लिए ‘हमारी विरासत’ पुस्तक तैयार की जा रही है।

कार्यशाला समन्वयक सुनील भट्ट और सह समन्यवक गोपाल सिंह घुघत्याल ने बताया कि पुस्तक में राज्य की लोककथाएं, स्थानीय संस्कृति, व्यंजन, वेशभूषा, उत्तराखंड राज्य आंदोलन का इतिहास और महान विभूतियों से संबंधित सामग्री को शामिल किया जा रहा है। कार्यशाला में डॉ. नंदकिशोर हटवाल, मुकेश नौटियाल, कुसुमरानी नैथानी, मोहन प्रसाद डिमरी, कृष्णानंद नौटियाल और सुनीता चौहान के मार्गदर्शन रुपरेखा तैयार की गई।

इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानंद बिजलवाण के अलावा बतौर लेखक राजेश कुमार पाठक, वीरेंद्र सिंह कठैत, डॉ. उमेश चमोला, सुरेंद्र कुमार आर्यन, अंजना सजवान, दिनेश रावत, अशोक कुमार सैनी, राजेश खत्री, शिवकुमार भारद्वाज, कैलाश डगवाल, डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी, डॉ दिनेश कर्नाटक, प्रदीप बहुगुणा दर्पण, डॉ. सुशील कोटनाला, गिरीश सुंदरियाल धर्मेंद्र नेगी, सोहन नेगी, डॉ. जसपाल खत्री, प्रेमलता सजवान, शिशुपाल सिंह बिष्ट, रवि दर्शन तोपाल, भास्कर उप्रेती, प्रदीप डिमरी, दिनेश रावत, संतोष तिवारी, नरेंद्र सिंह, दीपक मेहता, देवेश जोशी, तारा दत्त भट्ट, रजनी रावत, ताजबर पडियार, नरेश कुमई, मनोज बहुगुणा, नवीन चंद्र उपाध्याय, गोपाल सिंह गैडा, हेमंत चौंक्याल, संजय भट्ट, लक्ष्मी प्रसाद मालगुडी, कौशल कुमार, कुसुमलता वर्मा, लक्ष्मण सिंह चौहान आदि शामिल रहे।

समापन पर अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के अम्बरीश बिष्ट ने कहा कि कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई संदर्भ सामग्री की व्यवस्था करने से अजीम प्रेमजी फाउंडेशन का पुस्तकालय समृद्ध हुआ है। समापन सत्र में डॉ कृष्णानंद नौटियाल, डॉ उमेश चमोला और सुनीता चौहान ने अपनी पुस्तकें भेंट की।

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