अल्मोड़ा। भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लाख दावे हो रहे हों, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। 500 करोड़ की लागत से बना अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज इसकी बानगी है। लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से निर्माण किए गए इस मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाएं इस कदर है कि मेडिकल कॉलेज के जनरेटर में डीजल तक नहीं है। वहीं, सरकार के निर्देश के बाद मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है। जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।
दरअसल, अल्मोड़ा की 6 लाख से अधिक की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के दावे कर यहां मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया है। दो साल पहले इसका संचालन भी शुरू कर दिया गया। लेकिन तब भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। अल्मोड़ा मेडिकल से संबद्ध बेस अस्पताल में हालत बदतर हैं। यहां कुछ घंटे बिजली व्यवस्था बाधित क्या हुई, मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाओं के दावों की हवा निकल गई। अस्पताल में पहुंचे मरीजों और उनके तीमारदारों ने बताया कि सुबह जब वह पर्ची काउंटर में पहुंचे तो उनकी पर्ची नहीं बनाई गई। अस्पताल के कर्मचारियों से इस बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने जनरेटर में डीजल नहीं होने की हावाला दिया। मरीजों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन की अव्यवस्थाओं के चलते उन्हें घंटों तक इंतजार करना पड़ा। बाद में मरीजों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए आनन-फानन में डीजल की व्यवस्था की गई जिसके बाद विद्युत व्यवस्था सुचारू हुई। तब जाकर मरीजों की पर्ची बनाई गई। जिससे दूर दराज क्षेत्रों से आए मरीजों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इधर मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। जिलाध्यक्ष कांग्रेस पीतांबर पांडे ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व उनके मंत्री अल्मोड़ा आकर बड़ी बड़ी बातें कर जाते है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में जनरेटर चलाने के लिए डीजल तक नहीं है। उन्होंने बताया कि वह खुद मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने हाथ फैक्चर का ऑपरेशन करने से मना कर दिया और मरीज को हायर सेंटर रेफर कर दिया। उन्होंने प्रदेश सरकार से मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मांग की है।
वहीं, इस मामले में मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. सी.पी भैसोड़ा ने बताया कि बेस अस्पताल में बिजली नहीं होने पर जनरेटर से व्यवस्था की जाती है। लेकिन इस बार क्या समस्या हुई उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। वह इस बारे में जानकारी लेंगे। मरीज को रेफर करने के सवाल पर उन्होंने बताया कि आर्थों की ओटी हैंडओवर नहीं होने के चलते यह दिक्कत हो रही है। जैसे ही आर्थों की ओटी हैंडओवर हो जाएगी तो फिर मेजर ऑपरेशन भी यहीं अस्पताल में किए जाएंगे।