उत्तराखंड

आसमान पर चमकते सैकड़ों तारे बनेंगे आपकी आजीविका का सहारा, पढ़िए पूरी खबर




आसमान पर चमकते सैकड़ों तारे आपकी आजीविका का सहारा बन सकते हैं। क्य़ोंकि तारों को देखना, समझना व फोटो खींचना पूरी दुनिया में एक बड़े शौक के रूप में उभरा है। इस वजह से ‘एस्ट्रो फोटोग्राफी’ एक नए आयाम के रूप में स्थापित हो रही है। वहीं अब ‘एस्ट्रो फोटोग्राफी’ पहाड़ के पर्यटन को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है। इसको बढ़ावा देने कि लिए मंगलवार को लोहाघाट के एवट माउंट में इसकी कार्यशाला शुरू हुई है। यह कार्यशाला 19 मई से बेनीताल में भी आयोजित होगी।

बता दें कि एस्ट्रो फोटोग्राफी के साथ ही उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने इसमें बर्ड फोटोग्राफी तथा नेचर फोटोग्राफी को भी शमिल किया है। पद्मश्री अनूप साह, श्रीश कपूर, अजय तलवार, सलिल डोभाल मो. आरिफ जैसे फोटोग्राफर लोगों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इससे स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की संभावना जताई जा रही है। उत्तराखंड में एवट माउंट, बेनीताल, मुक्तेश्वर जैसे स्थानों को इसके लिए उपयुक्त बताया गया है।

जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि इससे एस्ट्रो फोटोग्राफी का एक डाटाबेस तैयार हो जाएगा, जिसका इस्तेमाल टूरिज्मविभाग, केएमवीएन आदि कर सकते हैं। यहां की फोटोग्राफ जब अन्य प्लेटफार्म पर शेयर होंगी तो इस क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।

आपने खुद यह महसूस किया होगा कि मैदानी क्षेत्रों की तुलना पहाड़ में रात आसमान काफी सुंदर नजर आता है, जिसमें तारों की चमक और उनकी संख्या भी अधिक होती है। इन्हीं तारों को देखना, समझना व फोटो खींचना पूरी दुनिया में एक बड़े शौक के रूप में उभरा है। इसे एस्ट्रो फोटोग्राफी कहा जाता है। बेहतरीन कैमरों से इसमें आकाशगंगा भी दिखाई देती है और ग्रह-नक्षत्र भी।

एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए ना सिर्फ सामान्य प्रदूषणरहित आसमान चाहिए, बल्कि वहां लाइट पॉल्यूशन भी नहीं होना चाहिए। लाइट पॉल्यूशन का मतलब है कि आसमान में पृथ्वी से जाने वाली लाइट अधिक नहीं होनी चाहिए। लाइट पॉल्यूशन को बार्टल रेटिंग से नापते हैं। एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए इसकी रेटिंग शून्य से 3 के बीच होनी आवश्यक है। यह देहरादून में 7, हल्द्वानी में 6 हैं। यहां तक कि पिथौरागढ़ व चंपावत जैसे पर्वतीय शहर भी इसके दायरे में नहीं आते।

गौर हो कि कुछ वर्ष पहले जब नैनीताल में एस्ट्रो फोटोग्राफी के प्रयास शुरू किए गए थे तो उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा था और अपने कार्यक्रम मन की बात में इसका जिक्र किया था।

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