उत्तराखंड

स्वास्थ्य अधिकारियों की साझा रणनीति: जेएन.1 उपस्वरूप के खिलाफ सुरक्षा के लिए नए दिशानिर्देशों का आदान-प्रदान




कोरोना ने फिर बढ़ाई चिंता! 12 राज्यों से सब-वैरिएंट जेएन.1 के 682 मामले आए सामने

अधिकारियों ने कहा कि देश में संक्रमण के मामले बढ़ने और जेएन.1 उपस्वरूप के मामलों की पुष्टि होने के बावजूद तत्काल चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि अधिकतर संक्रमित मरीजों ने घर पर रहकर उपचार का विकल्प चुना है और उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं

.नई दिल्ली: सात जनवरी तक 12 राज्यों से कोरोना वायरस के उपस्वरूप जेएन.1 के 682 नए मामले सामने आए. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कर्नाटक से 199 मामले, केरल से 148, महाराष्ट्र से 139, गोवा से 47, गुजरात से 36, आंध्र प्रदेश से 30, राजस्थान से 30, तमिलनाडु से 26, दिल्ली से 21, ओडिशा से तीन, तेलंगाना से दो और हरियाणा से एक मामला सामने आया है.

अधिकारियों ने कहा कि देश में संक्रमण के मामले बढ़ने और जेएन.1 उपस्वरूप के मामलों की पुष्टि होने के बावजूद तत्काल चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि अधिकतर संक्रमित मरीजों ने घर पर रहकर उपचार का विकल्प चुना है और उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं.राज्यों से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा साझा की गई कोविड-19 के लिए संशोधित निगरानी रणनीति के विस्तृत दिशानिर्देशों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है.उन्होंने मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति का जल्द पता लगाने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के जिलेवार मामलों की नियमित रूप से निगरानी और रिपोर्ट करने को कहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसके तीव्र प्रसार को देखते हुए जेएन.1 को एक अलग ‘‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” (वीओआई) स्वरूप के रूप में वर्गीकृत किया है और कहा है कि यह वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति ‘‘कम” जोखिम वाला है. विश्व संस्था ने कहा कि कोरोना वायरस के जेएन.1 उपस्वरूप को पहले बीए.2.86 उपस्वरूप के तहत वीओआई के रूप में वर्गीकृत किया गया था

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