उत्तराखंड

भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव कब और कैसे मनाएं, क्या शुभ मुहुर्त और पूजा विधि , जानें…




Janmashtami 2022: भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का इंंतजार उनके भक्तों को पूरे साल बना रहता है। कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर अक्सर लोगों के मन में तारीख को लेकर भ्रम बना रहता है। इस साल भी रक्षाबंधन के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी को तारीख को लेकर भी लोगों में कन्फ्यूजन बना हुआ है। आप भी इस कनफ्यूजन में है कि पूजा कब करनी है कैसे करनी है। क्या मुहुर्त है क्या उपाय है तो उत्तराखंड के ज्योतिष अनुसार आप जानने के लिए ये लेख जरूर पढ़ें..

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार भगवान कृष्ण के भक्त जन्माष्टमी को धूम-धाम के साथ मानाते के लिए जुट गए हैं। उत्‍तराखंड के मंदिरों में इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। आचार्य के मुताबिक इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 की रात से शुरू होकर 19 अगस्त 2022 की रात तक है। ऐसे में लोगों में असमंजस पैदा हो रहा है। बताया जा रहा है कि अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 की रात 09:21 से शुरू हो रही है और 19 अगस्त 2022 शुक्रवार की रात 10.50 पर समाप्ति हो रही है।

जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त

मान्यताओं के मुताबिक इस दिन श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इस कारण अधिकतर लोग 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाने वाले हैं। वहीं ज्योतिष की मानें तो 19 अगस्त को उदयातिथि को मानते हुए इस दिन भी जन्माष्टमी मनाना उत्तम रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 18 अगस्त की रात के 12:20 बजे से 01:05 तक बताया जा रहा है जबकि पूजा अवधि – 45 मिनट और व्रत पारण करने का समय -19 अगस्त रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद बताया जा रहा है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण को विधि विधान से दूध, दही, शहद, घी, शक्कर आदि से स्नान कराएं। सबसे अंत में भगवान की मूर्ति को शुद्ध गंगाजल से एक बार फिर स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, आभूषण धारण कराएं। इसके बाद भगवान को चंदन का तिलक आदि लगाने के बाद विभिन्न प्रकार के मिष्ठान का भोग लगाएं। भगवान के भोग में तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद भगवान के मंत्रों का जाप और श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करें। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर की जाने वाली पूजा में भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी और वैजयंती माला जरूर अर्पण करें। पूजा के अंत में पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान श्री कृष्ण की आरती करें। सबसे अंत में भगवान की परिक्रमा करें और यदि संभव हो तो पूरी रात भगवान श्री कृष्ण का जागरण करें। मान्यता है कि जन्माष्टमी के पावन पर्व पर गौ सेवा करने से भगवान श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न होते है।

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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