उत्तराखंड

राज्य आंदोलनकारियों का भवन कर होगा माफ, महापौर सुनील उनियाल की घोषणा




आंदोलनकारी स्व. सुशीला बलूनी की जयंती कार्यक्रम में शामिल पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता डा. हरक सिंह रावत ने कहा कि राज्य आंदोलन के दौरान सुशीला बलूनी के संघर्ष को उन्होंने भी देखा। श्रीनगर में जब आंदोलन हुआ था तो वह वहीं थे। आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा कि आंदोलन में सुशीला बलूनी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

देहरादून: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने स्व. सुशीला बलूनी की 84वीं जयंती को मातृशक्ति दिवस के रूप में मनाया। इस खास अवसर पर, पांच महिलाओं को मातृशक्ति सम्मान से नवाजा गया, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महापौर सुनील उनियाल गामा ने राज्य आंदोलनकारियों के लिए एक भवन का निर्माण करने और माफ करने की घोषणा की। उन्होंने इसके साथ ही बताया कि इस प्रस्ताव को निगम की बोर्ड बैठक में एक माह के भीतर विचार किया जाएगा।

सुशीला बलूनी के नाम पर होगा रोड का नाम…

महापौर सुनील उनियाल गामा ने यह दरियादिली दिखाई कि राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कचहरी मार्ग या नेशविला रोड का नाम सुशीला बलूनी के नाम पर बदलने और उनकी प्रतिमा को स्थापित करने के लिए पूरी कोशिश की जानी चाहिए। यह सुझाव भी निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने सुशीला बलूनी के संघर्ष को महत्वपूर्ण माना और बताया कि वे भी राज्य आंदोलन के दौरान उनके साथ थे। उन्होंने श्रीनगर में आयोजित आंदोलन में उनका साथ दिया था। आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने सुशीला बलूनी के योगदान को अत्यंत महत्वपूर्ण माना और कहा कि उनका संघर्ष कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक यात्रा में एक अत्यद्भुत भूमिका निभाई।

 अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा ने 1994 में नगर पालिका के सदस्य के रूप में होने के दौरान विभिन्न घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने सुशीला बलूनी के कार्यों की महत्वपूर्ण स्मृतियों का सुझाव दिया और कहा कि वे नवयुवा आगे बढ़कर उनके जैसे महान आंदोलनकारियों के पथ पर चल रहे हैं।

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