अन्नकुट पर्व पर महापौर ने संतो से लिया आर्शीवाद
महापौर ने दंडीवाडा में समाराधना कार्यक्रम में भी की सहभागिता
ऋषिकेश- श्री जयराम अन्नक्षेत्र में गोवर्धन पूजन धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर महापौर अनिता ममगाई ने भी शिरकत की और श्रीकृष्ण भगवान को 56 भोग लगाया। उन्होंने आश्रम के परम अध्यक्ष ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज से आर्शीवाद भी लिया।
महापौर ने पूज्य पाद जगतगुरु ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी माधवाश्रम महाराज के षष्ठम् निर्वाण दिवस पर जगतगुरु शंकराचार्य आश्रम माया कुंड दंडीवाडा में समाराधना दिवस के उपलक्ष में श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भी शिरकत की।उन्होंने पूज्य गुरुदेव के समाधि स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजन किया । महापौर व दंडी स्वामी श्री विज्ञानानंद तीर्थ एवं आश्रम के प्रबन्धक पूज्य स्वामी केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि जगतगुरु स्वामी माधवाश्रम का सम्पूर्ण जीवन सनातन संस्कृति के लिए समर्पित रहा । उन्होंने वैदिक संस्कृति गौ, गंगा ,गायत्री के लिए सम्पूर्ण भारत वर्ष में कार्य किया। उनके द्वारा स्थापित आश्रम एवं संस्कृत के गुरुकुल लगातार सनातन धर्म को आगे बढा रहे हैं । उनके अनेकों शिष्य आज लगातार सनातन धर्म को आगे बढानें के लिए कृत संकल्पित हैं उन्होंने कहा कि पूज्य महाराज श्री देवभूमि उत्तराखंड के गौरव थे। ऐसे महान संतो के कारण ही सनातन धर्म की रक्षा हो रही है।इसस पूर्व मंगलवार की दोपहर जयराम आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुई महापौर ने कहा कि गोवर्धन पूजा अत्यंत के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है। साथ ही कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। बताया कि आज के दिन पूजा में लोग अपने घरों में कान्हा का अच्छे से साज-श्रृंगार करके शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा-आराधना करते है। कान्हा के समक्ष अपनी समस्त मनोकामनाओं की अर्जी लगाकर उसे पूरी करने की विनती करते है। आज के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। यही नहीं इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाया जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता हैं। उन्होंने कहा कि अन्नकूट यानी की गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर दिया था और गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इसके प्रश्चात महापौर नारायण आश्रम पहुंची ओर बेहद श्रद्वापूर्वक यहां आयोजित कार्यक्रम में सम्मलित हुई। इसके उपरांत महापौर ने कैलाश गेट स्थित मधुबन आश्रम में आयोजित अन्नकूट कार्यक्रम में सहभागिता कर आश्रम के परमाध्यक्ष परमानंद दास महाराज से भी आर्शीवाद लिया।