लखनऊः विधानसभा चुनाव में जीत के बाद अब बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को लेकर कमर कस ली है। लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच सबसे बड़े चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में हलचल तेज हो गई है। यूपी बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर निचले स्तर के पदाधिकारियों को बदलने की कवायद शुरू हो गई है। बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत जल्द ही यूपी प्रदेश अध्यक्ष का पद पर कोई चेहरा सामने आ सकता है। हर किसी के दिमाग में यहीं सवाल है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा।
बता दें कि यूपी बीजेपी में बतौर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह करीब 3 साल का अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। उनको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में जगह भी मिल चुकी है। स्वतंत्रदेव का कार्यकाल 19 जुलाई तक है। पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक एक-डेढ़ महीने के भीतर इस कवायद को पूरा किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष को लेकर बीजेपी नेताओं का प्रदेश मुख्यालय लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का चक्कर लगाना बढ़ गया है। हालांकि पहला और सबसे बड़ा सवाल प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर है।
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए बीजेपी को एक ऐसे मजबूत चेहरे की तलाश है, जो उत्तर प्रदेश में चुनावी लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सके। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लंबे समय तक जुड़ा रहा नेता हो सकता है. इसके अलावा संघ विचार परिवार के किसी महत्वपूर्ण अनुषांगिक संगठन जैसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े किसी नेता को भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाती सकती है।