कानपुर के वैज्ञानिक ने सामान्य चीनी में समुद्री काई और तुलसी मिलाकर सेहतमंद चीनी बनाने का फार्मूला खोज लिया है। काई मिश्रित इस ‘सुपर शुगर’ में भरपूर पौष्टिक तत्व हैं। यह कई बीमारियों से लड़ने में मददगार भी है। इसे छह माह में बाजार में उतारने की तैयारी है।
कानपुर स्थित देश के एकलौते राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन शोधकर्ता राजेश सिंह के साथ तीन साल से इस पर काम कर रहे थे। अंततः वह समुद्री काई और तुलसी को सामान्य चीनी में विशेष प्रक्रिया व अनुपात में मिला कर सेहतमंद चीनी बनाने में कामयाब हो गए हैं। इसके निर्माण में किसी रसायन का प्रयोग नहीं हुआ है। स्पिरुलीना प्रजाति की काई सबसे कारगर : प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि स्पिरुलीना प्रजाति की काई चीनी बनाने में कामयाबी मिली। इसमें मौजूद प्रोटीन 86 से 90 फीसदी तक पच जाता है। बच्चों से बुजुर्ग तक इसका प्रयोग कर सकते हैं। चीनी में काई व तुलसी को 1:5 में रखते हैं।
नासा से सीखा काई का करिश्मा :
उन्होंने बताया कि नासा में वैज्ञानिक डाइट के लिए समुद्री काई का इस्तेमाल करते हैं। इससे प्रेरित होकर ‘सुपर शुगर’ बनाई। अगले तीन माह में इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जाएगा। इसकी स्टोरेज क्षमता एक साल से अधिक है।
इन बीमारियों में फायदेमंद
खांसी, एनीमिया, ब्लडप्रेशर, मांसपेशियों की कमजोरी, असंतुलित कोलेस्ट्राल को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
कई में मिलेंगे यह तत्व
प्रोटीन: 58 प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट : 16 प्रतिशत
फैट्स : 08 प्रतिशत
मिनरल्स: 10 प्रतिशत
डायटरी फाइबर 08 प्रतिशत
काई वातावरण को शुद्ध करेगी
काई वातावरण से कार्बन को सोखती हैं। अभी तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत 15 प्रदेशों में इसकी खेती शुरू हो गई है। बता दें कि यह 3 रुपये सामान्य चीनी से महंगी होगी।