आखिरकार लंबे इंतजार के बाद धारी देवी की मूर्ति नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हो गई है। इस दौरान मंदिर को भव्य रुप से सजाया गया है। बता दें कि 24 जनवरी से महानुष्ठान भी शुरू हो गया था, जो कि आज 28 जनवरी तक जारी रहा। महानुष्ठान के लिए 21 पंडितों को आमंत्रित किया गया। वहीं महानुष्ठान के बाद चारधाम की रक्षक मां धारी देवी 9 साल बाद अपने मूलस्थान पर विराजमान हो गई हैं।
सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे स्थित था। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह डूब क्षेत्र में आ रहा था। इसके लिए इसी स्थान पर परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था लेकिन जून 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया। पिछले नौ साल से प्रतिमाएं अस्थायी स्थान में विराजमान थीं।