उत्तराखंड

चाय बागान की जमीनों के खरीद-फरोख्त पर रोक




जमीन धोखाधड़ी रोकने को लेकर मुहिम चला रहे जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 गांवों में चाय बागान की करीब 3000 बीघा भूमि की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है। चाय बागान की जमीन को गलत तरीके से भू-उपयोग बदलकर बेचा जा रहा था। मामला संज्ञान में आने पर डीएम सोनिका के निर्देश पर इसके आदेश जारी किए गए हैं।

 

एडवाेकेट विकेश सिंह नेगी ने शिकायत की थी कि देहरादून में चाय बागान की भूमि को गलत तरीके से बेचा जा रहा है। संबंधित शिकायत की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट भी चाय बागान की भूमि के खरीदने और बेचने पर रोक लगा चुका है। अब डीएम सोनिका ने शिकायत का संज्ञान लिया है। शिकायत के आधार पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने आदेश जारी किए हैं।

आदेश में ग्राम जमनीपुर, एटनबाग, बादामावाला, अंबाड़ी, जीवनगढ़, एनफील्ड ग्रांट, ईस्ट होपटाउन रायपुर, नत्थनपुर, चक रायपुर, आरकेडिया ग्रांट, कांवली, हरबरावाला, मिट्टीबेहड़ी, मलुकावाला, खेमादोज, मोहकमपुर खुर्द, बंजारावाला माफी, लाडपुर में चाय बागान की भूमि को ग्रामीण सीलिंग से छूट प्रदान की गयी है। यहां पर चाय बागान की भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगाई गई है।

 

यह थी शिकायत
शिकायत में बताया गया कि देहरादून के कई गांवों में सीलिंग से चाय बागान को छूट मिली है। नियमानुसार अक्तूबर 1975 के बाद चाय बागान के रूप में प्रदान भूमि का किसी भी रूप में स्थानांतरण बगैर राज्य सरकार की अनुमति के नहीं हो सकता। अगर कोई व्यक्ति 10 अक्तूबर 1975 के बाद भूमि का क्रय-विक्रय करेगा तो वह स्थानांतरण अवैध समझा जाएगा, लेकिन ग्राम जमनीपुर, एटनबाग, बादामावाला, जीवनगढ़, एनफील्ड ग्रांट, रायपुर, नत्थनपुर समेत कई गांवों में चाय बागान में दर्ज भूमि को भू-माफिया किस्म के लोग बेच रहे हैं। इसका भू-उपयोग भी बदला जा रहा है।
350 बीघा जमीन की बिक्री पर हाईकोर्ट लगा चुका है रोक
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ चाय बागान की करीब 350 बीघा जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगा चुकी है। वहीं, 2022 में जिला प्रशासन सीलिंग और चाय बागान की 146 एकड़ से अधिक जमीन की खरीद और बिक्री पर रोक के आदेश दे चुका है। 26 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी इस संबंध में आदेश जारी किए गए थे।

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