उत्तराखंड

मनमानी करने वाले मानसिक रोग अस्पतालों और नशामुक्ति केंद्रों पर कसेगा शिकंजा, अब नए नियमों के तहत होगा रजिस्ट्रेशन




देहरादून। मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों और नशामुक्ति केंद्रों के संचालकों को अब नए सिरे से स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण कराना होगा। मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों में नशामुक्ति केंद्रों के संचालकों पर शिकंजा कसा जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार की पहल पर स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी (एसएमएचए) ने विस्तृत नियमावली भी तैयार कर ली है। फिलहाल नियमावली को शासन के जरिए केंद्र सरकार को भेजा गया है। जहां विशेषज्ञों की टीम फिलहाल नियमावली का अध्ययन कर रही है केंद्र सरकार की ओर से अनुमति मिलने के साथ ही नियमावली को लागू कर दिया जाएगा।FEATURED LATEST UTTARAKHAND NEWS IN HINDI UTTARAKHAND NEWS DEHRADUN UTTARAKHAND NEWS HINDI NEWS UTTARAKHAND LIVE NEWS UTTARAKHAND NEWS LIVE TODAY UTTARAKHAND NEWS LIVE LATEST NEWS UTTARAKHAND KI NEWS UTTARAKHAND TOP NEWS UTTARAKHAND NEWS TODAY LIVE UTTARAKHAND BREAKING NEWS UTTARAKHAND KI KHABRE UK NEWS IN HINDI उत्तराखण्ड समाचार समाचार LIVE पहाड़ समाचार उत्तराखण्ड के मुख्य समाचार उत्तराखण्ड समाचार – UTTARAKHAND NEWS हिंदी समाचार उत्तराखंड न्यूज़ उत्तराखंड की ताज़ा ख़बर उत्तराखंड न्यूज़ हिंदी उत्तराखंड लाइव न्यूज़ DEHRADUN NEWS IN HINDI देहरादून हिंदी न्यूज़ देहरादून की ताज़ा ख़बर

 

मानसिक रोग अस्पतालों और नशामुक्ति केंद्रों नहीं कर सकेंगे

बता दें कि फिलहाल मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों और नशामुक्ति केंद्रों का स्वास्थ्य विभाग में कोई पंजीकरण नहीं हो रहा है। नशामुक्ति केंद्रों के संचालकों द्वारा समय-समय पर केंद्रों में भर्ती मरीजों के साथ अमानवीय घटनाएं की जाती हैं। नशामुक्ति केंद्रों में तो इलाज के दौरान कई मरीजों की मौत भी हो चुकी है। कई केंद्रों के संचालकों पर मृतकों के परिजनों द्वारा मुकदमे भी दर्ज कराए गए, जिनकी पुलिस द्वारा जांच भी की जा रही है। मरीजों की मौत के बाद नशामुक्ति केंद्रों के संचालकों पर सवालिया निशान भी खड़े होते रहे हैं। लेकिन, अब मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों और नशामुक्ति केंद्रों के संचालक मरीजों के साथ मनमानी नहीं कर सकेंगे। कारण कि स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी ने जो नियमावली तैयार की है और यदि उसे केंद्र सरकार की अनुमति के बाद लागू कर दिया जाता है तो अस्पतालों और नशामुक्ति केंद्रों के संचालकों को न सिर्फ पंजीकरण कराना होगा, वरन उन्हें एक निर्धारित शुल्क भी जमा करना होगा।

 

केंद्र को भेजा प्रस्ताव

स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के सहायक निदेशक डॉ. मयंक बड़ोला ने बताया कि फिलहाल नियमावली विस्तृत नियमावली तैयार करने के साथ ही शासन के जरिए केंद्र सरकार को भेजा गया है, जहां विशेषज्ञों की टीम फिलहाल नियमावली से जुड़े तमाम प्रावधानों का बारीकी से अध्ययन कर रही है नई नियमावली लागू होने के बाद मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों के साथ ही अस्पतालों के संचालकों को भी पंजीकरण कराना होगा।

 

 

नशा मुक्ति केंद्रों में साइकोलॉजिस्ट साइकाट्रिस्ट की करनी होगी नियुक्ति

स्टेट मेंटल हेल्थ अथारिटी की ओर से तैयार की ओर से तैयार की गई नियमावली को यदि लागू किया जाता है तो नशामुक्ति केंद्रों को न सिर्फ पंजीकरण कराने के साथ ही निर्धारित शुल्क जमा कराना होगा, वरन संचालकों को अपने केंद्रों पर साइकोलॉजिस्ट व सायिकयाट्रिस्ट को भी रखना अनिवार्य होगा ऐसा नहीं करने वाले संचालकों को ना तो पंजीकरण किया जाएगा ना ही उनके संचालन की अनुमति दी जाएगी।

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