उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। सत्र 5 दिसंबर तक चलेगा. इस सत्र के दौरान सदन से लेकर सड़क तक हंगामा देखने को मिला। वहीं, विपक्ष ने कई मुद्दों को लेकर सरकार पर हमला बोला। वहीं, विधानसभा में ₹5440 करोड़ से अधिक का अनुपूरक बजट पेश किया गया। साथ ही सरकार की तरफ से महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर रखा गया।
वहीं, उत्तराखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन लंच के बाद सरकार की तरफ से महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर रखा गया। बता दें कि वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बजट की कॉपी लेकर विधानसभा पहुंचे थे।
महिला आरक्षण बिल
उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई 2001 को तत्कालीन नित्यानंद स्वामी सरकार ने 20 फीसदी आरक्षण की सुविधा दी थी। इसके बाद कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार ने इसे 30 फीसदी कर दिया था। तभी से सिर्फ एक जीओ के आधार पर यह लाभ दिया जा रहा था। हालांकि, यह लाभ देने के लिए विधानसभा के पटल पर इसे विधेयक के रूप में लाना जरूरी था, जिसे अब सरकार ने पूरा किया है।
बिल पर क्यों था बवाल
उत्तराखंड सम्मिलत राज्य सिविल एवं प्रवर अधीनस्थ सेवा प्री परीक्षा नतीजों के बाद हरियाणा की पवित्रा चौहान समेत दूसरे राज्य की महिला अभ्यर्थियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्थानीय महिलाओं को मिल रहे आरक्षण पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ धामी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड की स्थानीय महिलाओं को मिल रहे आरक्षण को बरकरार रखा।