अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प में कई जवानों के घायल होने की खबर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी सैनिकों की तरफ से अचानक हुए इस हमले का भारतीय सेना ने मुहंतोड़ जवाब दिया गया। इस दौरान भारत के 20 सैनिक जख्मी हुए, जबकि चीन के घायल सैनिकों का आंकड़ा लगभग दोगुने से भी ज्यादा बताया जा रहा है। घायल भारतीय सैनिकों को इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है।
बता दें कि चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की उम्मीद नहीं थी। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।
इस बीच अरुणाचल ईस्ट से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने इस घटना को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय सैनिक अपनी जमीन से एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। चीनी सैनिकों की यह हरकत निंदनीय है।”
चीनी सैनिकों ने मौके को उठाया फायदा
टॉप सरकारी सूत्रों के हवाले से, द इंडियन एक्सछप्रेस लिखता है कि PLA ने घुसपैठ की पूरी प्लाुनिंग की थी। बस ‘मौके’ का इंतजार था। जिस जगह झड़प हुई, वहां घने जंगल हैं। चीन काफी वक्त से अपनी तरफ सप्ला्ई लाइन और इन्फ्राइस्ट्र क्च्र खड़ा कर रहा था। बीते दिनों इस इलाके में बर्फबारी हुई, ऊपर से घने बादल छाए रहे। इससे भारतीय सैटेलाइट्स को चीनी सैनिकों के बिल्डत-अप की पहचान करने में चुनौती आई। झड़प के बाद, भारतीय सेना ने रेडियो फ्रीक्वेंनसी (RF) सिग्न ल जियोलोकेशन इक्विपमेंट का इस्ते माल कर सैटेलाइट तस्वी र री-कन्ट्रंस क्टग की हैं। फिलहाल इन तस्वीोरों का एनालिसिस जारी है।
चीन ने बॉर्डर पर क्यों की घुसपैठ की कोशिश
इस सवाल के जवाब उतना सीधा नहीं है। चीन के राष्ट्र पति शी जिनपिंग अपने देश में घिरे हुए हैं। सीमा पर तनाव बढ़ाकर सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश भी हो सकती है। पिछले दिनों भारत और अमेरिका की सेनाएं उत्त राखंड के औली में साझा युद्धाभ्यासस कर रही थीं। चीन को इसपर कड़ी आपत्ति थी। वहीं, भारत हाल ही में प्रतिष्ठित G-20 समूह का अध्यकक्ष बना है जिसमें चीन भी एक सदस्यि है। नवंबर 2022 में बाली में G-20 शिखर सम्मे्लन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। हालांकि, अभिवादन से इतर दोनों नेताओं के बीच कोई ठोस बातचीत नहीं हुई।
17 हजार फुट की ऊंचाई पर है याग्त्से का इलाका
याग्त्से में जहां चीनी सैनिकों ने भारत की लाइन पार की, वह इलाका 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है। भारत हाई आल्टिट्यूड एरियाज में चीन को पहले भी मुंह तोड़ जवाब देता रहा है। ईस्टर्न लद्दाख में जब पेंगोंग के उत्तरी किनारे पर चीनी सैनिक आगे आ गए थे तो भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग के दक्षिणी किनारे की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद चीन बातचीत की टेबल पर नरम पड़ा था।
गौरतलब हो कि 15 जून 2020 को गलवान में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों की खूनी झड़प में भारतीय सेना ने अपने 20 सैनिकों को खोया था। इससे पहले 1967 में भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। 1967 में नाथुला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में भारत के 88 सैनिक शहीद हुए जबकि चीन ने 300 से ज्यादा सैनिक मारे गए।