लखनऊः ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद विवाद देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामले में बताया जा रहा है कि कोर्ट की सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट में सोमवार को सर्वे रिपोर्ट पेश की गई। दोनों पक्षों ने बारी-बारी से अपनी बातों को रखा। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में करीब 45 मिनट तक सुनवाई चली। फैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा। इस दौरान दोनों पक्षों के 19 वकीलों और चार याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद रहे।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार ज्ञानवापी से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट शनिवार को ही अदालत को सौंप दी गई थी। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने पहले फैसला सुनाने से रोक लगा दी थी। हालांकि, बाद में इजाजत दे दी। इसके साथ ही मामले को सेशन कोर्ट से जिला अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। कोर्ट कमिश्नर रहे अजय मिश्रा को कोर्ट रूम जाने से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। आज जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट में डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र के अलावा हिंदू पक्ष और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल की गई आपत्तियों पर भी बहस हुई।
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में आज का दिन बेहद अहम था, क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार वाराणसी जिला जज ने मामले की सुनवाई की। जिला अदालत में सुनवाई को लेकर तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। बाहर बड़ी संख्या में जवान तैनात रहे। सुनवाई के दौरान भीड़ न लगे। इसका भी ध्यान रखा गया। वादी पक्ष के विष्णु जैन ने बताया कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट के सेक्शन 3 और 4 पर बहस हुई। कल उसी पर आगे की कार्यवाही होगी। जिला जज ने सभी पक्षों के आवेदन के बारे में जानकारी ली। मुस्लिम पक्ष के सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 (मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता) के तहत दाखिल प्रार्थना पत्र के बारे में भी सुना। कमीशन की रिपोर्ट के बारे में भी पता किया।
इन मुद्दों पर कोर्ट में होनी थी सुनवाई
- ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर केस की सुनवाई होगी।
- एडवोकेट कमिश्नर ने ज्ञानवापी की जो सर्वे रिपोर्ट सौंपी हैं, उस पर कोर्ट बहस शुरू करवा सकता है या कोई निर्णय दे सकता है।
- कोर्ट यह भी तय करेगा कि ज्ञानवापी मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991 लागू होता है या नहीं। यानी यहां, पूजा का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं।
- डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्ति पर सुनवाई होगी। डीजीसी सिविल ने प्रति आपत्ति दाखिल कर दी है।
वहीं, कोर्ट में सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ का बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि कोर्ट पहले यह तय करे कि यह मामला चलने लायक भी है या नहीं।