देहरादून। डॉक्टर बनने की चाह किसे नहीं होती लेकिन हिंदी माध्यम के छात्र-छात्राएं अंग्रेजी भाषा की बाध्यता के चलते अपने आप को रोक लेते हैं लेकिन अब आपको कहा जाए कि अब उत्तराखंड में एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में करवाई जाएगी। हिंदी माध्यम के बच्चे भी अब एमबीबीएस कर सकते हैं तो आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन यह सच है अब उत्तराखंड में एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में करवाए जाने को लेकर तैयारियां चल रही है। अब उत्तराखंड के स्कूलों में सिर्फ वेद, रामायण और भगवद गीता ही नहीं पढ़ाया जाएगा, बल्कि राज्य के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम भी एजेंडे में है।
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार राज्य के मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में शिक्षा प्रदान करने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने दावा किया कि यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप है, जो “भारतीय ज्ञान प्रणाली” और स्थानीय भाषा या “मातृभाषा” में शिक्षा पर जोर देती है। “हम केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे हिंदी-माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी-माध्यम-शिक्षित समकक्षों के बराबर आने में मदद मिलेगी।”
शिक्षा मंत्री ने कहा अक्सर हिंदी माध्यम एमबीबीएस छात्रों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपनी पसंद की भाषा के अभाव में कॉलेज में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा प्रणाली का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है। रावत ने कहा कि सरकार जल्द ही हिंदी माध्यम एमबीबीएस डिग्री पाठ्यक्रम के लिए अपनी कार्य योजना को अंतिम रूप देगी, साथ ही 2023-2024 शैक्षणिक सत्र के लिए कार्यक्रम को लागू करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
इससे एमबीबीएस कोर्स के लिए छात्रों को अंग्रेजी या हिंदी माध्यम से पढ़ने का विकल्प रहेगा। अगर सरकार की इस योजना की तैयारी पहले हो जाती तो उत्तराखंड राज्य हिंदी माध्यम से भी एमबीबीएस पढ़ाई कराने वाला पहला राज्य बन सकता था, लेकिन अब हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कराने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य होगा। प्रदेश में वर्तमान में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इसमें राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी और अल्मोड़ा शामिल हैं।