देशः कहते है न अगर हौसले बुलंद हो तो मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। बस जरूरत है कड़ी मेहनत और जज्बे की इस बात को सच कर दिखाया इंदौर की है अंकिता नागर ने। अंकिता का जीवन मुफलिसी में बिता है। वह एक सब्जी बेचने वाले की बेटी है और कभी ठेले पर सब्जी बेचने वाली अंकिता अब सिविल जज बन गई है। 25 साल की अंकिता नागर ने ये खुशखबरी सबसे पहले अपनी मां को दी। मां ठेले पर सब्जी बेच रही थीं। अंकिता रिजल्ट का प्रिंटआउट लेकर मां के पास पहुंची और बोली- मम्मी मैं जज बन गई।
बताया जा रहा है कि अंकिता के पिता अशोक नागर शहर के मूसाखेड़ी इलाके में सब्जी बेचते हैं। परीक्षा की तैयारी के दौरान वक्त मिलने पर अंकिता इस काम में उनका हाथ भी बंटाती रही है। वर्तमान में एलएलएम की स्नातकोत्तर शिक्षा हासिल करने वाली अंकिता नागर बचपन से कानून की पढ़ाई करना चाहती थीं। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई के दौरान तय कर लिया था कि उन्हें एक दिन जज बनना है। यह उनका चौथा प्रयास था। इससे पहले वह तीन बार इस परीक्षा में असफल हो चुकी थीं।
अंकिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने तीन बार नाकाम होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए अपने सफर पर चलती रही। उनके इस सफर के दौरान रास्ते खुलते गए और वह इस तरह अपनी मंजिल पर पहुंचने में कामयाब रही। उन्होंने ने कहा कि एक जज के तौर पर काम शुरू करने के बाद उनका ध्यान इस बात पर होगा कि उनकी अदालत में आने वाले हर मजलूम को इंसाफ मिले। वहीं बेटी की कामयाबी पर अपनी पिता अशोक नागर ने कहा कि उनकी बेटी मेरे जैसे तमाम लोगों के लिए एक मिसाल है कि हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती है।