उत्तराखंड

विश्व में आज सनातन धर्म के प्रचार की नितांत आवश्यकता: सतपाल महाराज

 आज, पूरे विश्व पर महायुद्ध का खतरा मंडरा रहा है। रूस-युक्रेन और इजराइल-हमास की लड़ाई में हजारों बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं, जिसके कारण विश्व में महायुद्ध का खतरा बढ़ गया है। इसका परिणाम स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में असहमति और संघर्ष की बढ़ती चुनौतियों के रूप में दिख रहा है। यह समस्या मानवीय सभ्यता के लिए विनाशकारी है।

ऐसे में, सनातन धर्म के अनुयायियों का कर्तव्य बढ़ जाता है कि वे सनातन धर्म के मूल उपदेशों को बढ़ावा दें, जैसे “वसुधैव कुटुंबकम” और “जियो और जीने दो”, जो सभी मानवों के एक ही परिवार के अंगगों की तरह हैं और सबको जीवन का सम्मान देते हैं।

इस सम्मेलन के दूसरे दिन, आध्यात्मिक गुरु और प्रसिद्ध समाजसेवी सतपाल महाराज ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ने भी हमारे सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। इसके लिए हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए सशक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

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इस अवसर पर सतपाल महाराज ने कहा कि पिछले पांच दशकों से भी ज्यादा समय से प्रति वर्ष नवंबर माह में ‘श्री हंस जयंती’ के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय ‘सद्भावना सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है। अभी तक यह आयोजन नई दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में होता था किंतु कार्यक्रम में बढ़ती जनसंख्या से जगह छोटी पड़ने लगी, इस वजह से अब यह कार्यक्रम नजफगढ़ के पंडवाला कलां स्थित श्री हंसनगर आश्रम के प्रांगण में किया जा रहा हैं। इसमें भाग लेने के लिए भारत के हर राज्य के अलावा अमेरिका, मॉरिशस और हांगकांग से हजारों प्रतिनिधि आये हैं।

 

 

सतपाल महाराज ने कहा कि जब विनाश-लीला के बादल मंडराने लगे तब ऐसे में सनातन धर्म को जानने वालों का यह परम कर्तव्य हो जाता हैं कि वे सनातन धर्म का प्रचार और तेजी से व्यापक रूप में करे। उन्हाेंने कहा कि भारत ही ऐसा देश है, जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता हैं, ‘सर्वे भवन्तु सुखिनं, सर्वे संतु निरामया’ की भावना हमारे ऋषि—मुनियों ने वेद, उपनिषद और धर्मशास्त्रों के माध्यम से दी है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत पर भी कई बार आक्रमण हुए। नालंदा के 10 हजार से ज्यादा बौद्ध विहार जला दिये गये। एक हजार से ज्यादा आचार्यों के सर कलम कर दिये गये। इस तरह के आक्रमण कई बार हुए। इसके बावजूद कोई भी आक्रमणकारी हमारे सनातन धर्म को समाप्त नहीं कर सके, क्योंकि सनातन धर्म अनंत है, जिसका अंत नहीं हो सकता। सनातन धर्म था, है, और रहेगा।

सम्मेलन में विभु महाराज ने कहा कि सनातन धर्म का ज्ञान ही हमें एक ऐसी दिशा दिखा सकता है, जो संपूर्ण मानव जाति के हित की हो। उन्होंने इस बात पर खास जोर देकर कहा कि ‘आत्मज्ञान’ सनातन धर्म की मूल आत्मा है, जिसका ज्ञान हुए बगैर सनातन धर्म को समझा नहीं जा सकता। सनातन धर्म कोई बाह्य कर्मकांड की वस्तु नहीं हैं बल्कि वह अंतर्जगत में प्रवेश कर कई शोध का आविष्कार करने का मार्ग है, जिसे हमारे ऋषि-मुनियों ने करके दिखाया है।

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इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम में नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमे ब्लड टेस्ट, बीपी, शुगर, कोलोस्ट्रोल, थायराइड, फिजियोथेरेपी सहित खान पान विशेषज्ञों द्वारा लोगों को स्वास्थ्य लाभ की सुविधा दी गयी। शिविर से दो दिनों में हजारों जरूरतमंद लोगों ने लाभ उठाया |

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सम्मेलन में सतपाल महाराज माता श्री अमृता जी, विभु महाराज, सुयश महाराज व अन्य विभूतियों का फूल माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद ने किया।

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