सामाजिक कार्यकर्ता राजेश्वर पैन्यूली की कलम से,,,,
देहरादून। योग शब्द युज् धातु से बना है जिसका अर्थ है जोडना। स्वंय की चेतना को ब्रह्मांड की चेतना से जोडने को योग कहा जाता है। योग भी आयुर्वेद के समान गुरू शिष्य परंपरा के रूप मे आगे बढी। शिवजी आदियोगी या पहले योगी हैं। जो आदिगुरू या पहले गुरु भी हैं।
ऐसा कहा जाता है कि योग का ज्ञान शिवजी आदियोगी द्वारा सप्तऋषियों को दिया गया और उनके द्वारा योग का प्रचार प्रसार संपूर्ण विश्व में किया गया। योग का वर्णन सभी वेदो और उपनिषदों में दिया गया है। भगवद्गगीता में ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग का वर्णन मिलता है। गीता के अनुसार कर्मों में कुशलता का नाम ही योग है। परन्तु सर्वप्रथम महर्षि पतंजलि ने योग को मुख्य भूमिका में रखते हुए लगभग 200 वर्ष ई.पू. योग सूत्र नाम से ग्रन्थ की रचना की।
आधुनिक समय मे महर्षि अरविन्द, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी रामतीर्थ आदि ने योग का प्रचार-प्रसार सम्पूर्ण विश्व में किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस योग को अंतर्राष्ट्रीय बनाया। 21 जून को विश्व -योग-दिवस के रूप मे बना, पूरे विश्व मे भारतीय योग को एक नई पहचान भी प्रधानमंत्री ने ही दी।