उत्तराखंड

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में गूंज उठी युवा संसद, लोकतंत्र की पाठशाला बनी सभा

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में “युवा संसद 2025” का आयोजन अत्यंत उत्साह एवं गरिमा के साथ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की समझ देना, उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार प्रस्तुत करने का मंच उपलब्ध कराना एवं रचनात्मक संवाद को प्रोत्साहित करना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. हेमलता के., रजिस्ट्रार प्रो. सुनील कुमार, मुख्य अतिथि विधायक मदन कौशिक, डीन (DSW) डॉ. आर. के. शुक्ला एवं डिप्टी डीन डॉ. रविंद्र कुमार ने भाग लिया। कुलपति महोदया ने सभी आयोजकों एवं प्रतिभागियों को बधाई देते हुए ऐसे कार्यक्रमों को युवाओं के लिए अत्यंत प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि यह संसद न केवल युवाओं को राजनीति की जानकारी देती है, बल्कि नेतृत्व कौशल, संवाद क्षमता और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी स्थापना करती है।

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मुख्य अतिथि मदन कौशिक ने अपने संबोधन में कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है, और युवाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना राष्ट्र निर्माण की कल्पना अधूरी है। उन्होंने इस संसद को युवाओं की राजनीतिक जागरूकता और उनकी सोच को मजबूती देने वाला मंच बताया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. जगराममोहन भटनागर और उपाध्यक्ष डॉ. कपिल मिश्रा थे। निर्णायक मंडल में डॉ. निखिल रंजन, डॉ. अनुराग वत्स, डॉ. मनीला, डॉ. ऋतु अरोरा एवं डॉ. राहुल भारद्वाज शामिल रहे।

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युवा संसद के प्रथम और द्वितीय सत्रों में छात्रों ने समान नागरिक संहिता, जाति जनगणना, एक राष्ट्र एक चुनाव, सोशल मीडिया की भूमिका, और भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे समसामयिक विषयों पर पक्ष और विपक्ष में सजीव बहस की।
मानसी भार्गव ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर प्रभावशाली प्रस्तुति दी, वहीं सागर चौहान ने सोशल मीडिया पर अपने विचार जोश के साथ रखे। देव सिंह राणा ने जाति जनगणना पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया।

द्वितीय सत्र में अंजलि मौर्य एवं अनुकेश हलधर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विपक्ष में अपने विचार रखे। आलोक कुमार झा ने तक्षशिला और नालंदा जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान केंद्रों का उल्लेख करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता बताई। अर्जुन ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अपने विचार व्यक्त किए, जबकि मयंक सैनी ने भारत की सांस्कृतिक विविधता पर ध्यान आकर्षित किया। ए.एम. संजीव ने समान नागरिक संहिता के पक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत किए।

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समापन समारोह में मुख्य अतिथि संजय चतुर्वेदी, प्रो. राकेश जैन (वित्त अधिकारी), प्रो. नवनीत एवं पदम उपस्थित रहे। इस पूरे आयोजन का सफल संचालन डॉ. आर.के. शुक्ला, डॉ. रविंद्र कुमार, डॉ. लोकेश कुमार जोशी एवं डॉ. हिमांशु पंडित के नेतृत्व में हुआ। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

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